Page

बुधवार, जुलाई 15, 2009

उद्देश्य

प्रिय आत्मिय
बंधु/ बहिन
जय गुरुदेव
जहाँ आधुनिक विज्ञान समाप्त हो जाता है। वहां आध्यात्मिक ज्ञान प्रारंभ हो जाता है, भौतिकता का आवरण ओढे व्यक्ति जीवन में हताशा और निराशा में बंध जाता है, और उसे अपने जीवन में गतिशील होने के लिए मार्ग प्राप्त नहीं हो पाता क्योकि भावनाए हि भवसागर है, जिसमे मनुष्य की सफलता और असफलता निहित है। उसे पाने और समजने का सार्थक प्रयास ही श्रेष्ठकर सफलता है। सफलता को प्राप्त करना आप का भाग्य ही नहीं अधिकार है। ईसी लिये हमारी शुभ कामना सदैव आप के साथ है। आप अपने कार्य-उद्देश्य एवं अनुकूलता हेतु यंत्र, ग्रह रत्न एवं उपरत्न और दुर्लभ मंत्र शक्ति से पूर्ण प्राण-प्रतिष्ठित चिज वस्तु का हमेंशा प्रयोग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी लिये हमारा उद्देश्य यहीं हे की शास्त्रोक्त विधि-विधान से विशिष्ट तेजस्वी मंत्रो द्वारा सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठित पूर्ण चैतन्य युक्त सभी प्रकार के यन्त्र- कवच एवं शुभ फलदायी ग्रह रत्न एवं उपरत्न आपके घर तक पहोचाने का है।

सूर्य की किरणे उस घर में प्रवेश करापाती है। जीस घर के खिड़की दरवाजे खुले हों।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे:- http://gk.yolasite.com/

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें