Vasant Panchami
वंसत पंचमी
२० जनवरी २०१० को हिन्दू पंचांग विक्रमी संवत् 2066 माघ मास शुक्ल की पक्ष को पंचमी को वंसत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा का दिन मां सरस्वती की पूजा आरधना कर उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु वर्ष के सर्व श्रेष्ठ दिनो में से एक है जो विभिन्न शुभ कार्यो के शुभ आरंभ हेतु अत्यंत शुभ हैं।
वंसत पंचमी के दिन से भारत के कइ हिस्सो मे बच्चे को प्रथम अक्षर ज्ञान की शुरुवात की जाती है।
एसी मान्यता है की वसंत पंचमी के दिन विद्यांभ करने से बच्चे की की वाणी में मां सरस्वती स्वयं वास करती और बच्चे पर जीवन भर कृपा वर्षाती हैं। एवं बच्चों में विद्या एवं ज्ञान का विकास होता हैं जिस्से बच्चें मे श्रेष्ठता, सदाचार, तेजस्विता जेसे सद्द गुणों का आगमन होना प्रारंभ होता हैं, और बच्चा उत्तम स्मरण शक्ति युक्त विद्वान होता हैं।
इस दिन नये व्यवसाय का शुभ आरंभ या व्यवसाय हेतु नयी शाखा का शुभ आरंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
वसंत पंचमी के दिन पूजा आरधना से मां की कृपा से अध्यात्म ज्ञाना में वृद्धि होती हैं।
नित्य कर्म से निवृत होकर श्वेत वस्त्र धारण करके उत्तर-पूर्व दिशा में या अपने पूजा स्थान में सरस्वती का चित्र-मूर्ति अपने सम्मुख स्थापन करे।
सर्व प्रथम पूजा का प्रारंभ श्री गणेशजी की पूजा से करे तत पश्यात ही मां सरस्वती की पूजा करें।
मां सरस्वती को श्वेत रंग अत्यंत प्रिय है। इस लिये पूजा में ज्यादा से ज्यादा श्वेत रंग की वस्तुओं का प्रयोग करें।
पूजा मे सफेद वस्त्र, स्फटिक माला, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य मे श्वेत मिष्ठान आदी का प्रयोग करे जिस्से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त हो
मां सरस्वती के वैदिक अथवा बीज मंत्रो का यथासंभव जाप करे। और सरस्वती स्तोत्र, सरस्वती अष्टोत्तरनामावली, स्तोत्र एवं आरती कर के पूजा संपन्न करे।
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