Page

मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

भूमि परीक्षण और वास्तु भाग: १

Bhoomi Parikshan aur vastu bhaga :1, Bhumi Pareekshan or Vastu Part: 1

भूमि परीक्षण और वास्तु भाग: १

वास्तु सिद्धान्त के अनुरुप गृह निर्माण से पूर्व भूमि पर गृह निर्माण करना आपाके लिये उपयुक्त होगा या नहीं यह जानने हेतु आपके मार्गदर्शन एवं सुविधा हेतु कुछ सरल प्रयोग को अपना कर देखे की आपके लिये वह भूमि पर गृह निर्माण करना उचित होगा या नहीं?

जीवीत भूमि
जिस स्थान पर हरेभरे फल-फूल देने वाले पेड़-पौधे हों, घास इत्यादि हों, उस भूमि को जीवीत भूमि कहा जाता हैं। एसी भूमि निवास हेतु अति उत्तम होती हैं, यहा गृह निर्माण करने से धन-धान्य की वृद्धि एवं सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।


मृत भूमि
जिस स्थान पर चूहे के बिल, दिमग, भूमि ऊबड़ - खाबड हों, दरार पडी हुइ भूमि, काटेदार खेतीकी उपज भी अच्छी होती हो, ऊसर, चूहेके बिल, दिमग आदिसे युक्त, ऊबड़ - खाबड, हड्डियों का ढेरवाली, काटेदार पेड़-पौधे हो, जो दुर्गन्ध युक्त हो, जो भूमि बंजर हो उअ भूमि को मृत कहते हैं, एसी मृतभूमि निवास स्थान हेतु कष्टदायी होती हैं।

  • चूहेके बिलवाली भूमि पर गृह निर्माण करने से धन एवं सौभाग्य का नाश होता हैं।

  • दीमक वाली भूमि पर गृह निर्माण करने से संतान पक्षका नाश होता हैं।

  • फटी हुई भूमि पर गृह निर्माण करने से मृत्यु या मृत्यु समान कष्ट प्राप्त होता हैं।

  • हड्डियों से युक्त भूमि पर गृह निर्माण करने से घर में क्लेश होता हैं। शांति प्राप्त नहीं होती।

  • ऊबड़ खाबड भूमि अर्थात ऊंची-नीची भूमि पर गृह निर्माण करने से शत्रु पक्षकी वृद्धि होती हैं।

  • दुर्गन्ध युक्त भूमि पर गृह निर्माण करने से संत्तति का नाश होता हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें