आईना एवं वास्तु
आईने से हर समय एक प्रकार कि ऊर्जा निकल कर बाहार आती रहती हैं। इस उर्जा का प्रभाव दिशा कि अनुरुप सकारात्मक एवं नाकारात्मक दोनो हो सकते हैं। अतः घर मे आइना सही स्थान का चुनाव कर लगाये ।
यदि उचित स्थान पर आईना लगा हो, तो घर कि नकारात्मक उर्जा दूर होकर घर में सकारात्मक उर्जा का आगमन होता हैं। और गलत स्थान पर आईना लगा होतो घर में नकारात्मक उर्जा के प्रवेश से अनेक प्रकार कि समस्याए होसकती हैं।
वास्तु सिद्धान्त के अनुशार शयन कक्ष में आईना लगाना वर्जित हैं। क्योकिं पलंग के सम्मुख आईना लगाने से पति-पत्नी के आपसी संबंधों में तनाव हो सकता हैं, एवं पत्नी के स्वास्थ्य में भी गिरावट आ सकती हैं। यदि शयन कक्ष मे आईना आवश्यक हो तो सोते समय आईने के नकारात्मक प्रभाव को कम करने हेतु आईने को ढककर या उसे आलमारी के अंदर की ओर लगवाए।
एक और मत हैं कि यदि शयन कक्ष के आईने में दंपति का प्रतिबिंब दिखाई दे तो दोनो के बिच मे तीसरा व्यक्ति आता हैं, और पति या पत्नी के अन्य स्त्री-पुरुष के साथमें सम्पर्क स्थापीत होने कि प्रबल संभावना बनी रहती हैं
ड्रेसिंग टेबल पर यदि आईना रखना होतो उसे रुम के पूर्व या उत्तर में इस प्रकार लगाये जिस्से बाल सवारते समय बाल दक्षिण या पश्चिम दिशा कि और गिरे। यदि बाल सवारते समय बाल पूर्व या उत्तर में गिरे तो स्त्री वर्ग के लिये अधिक अनिष्ट कारी होता हैं, और परिवार में विभिन्न रोग उत्पन्न होते देखे गये हैं।
कभी भी घर में दो आइने आमने-सामने नहीं लगाने चाहिये इस्से परेशानी बढती रहती हैं।
बच्चे कि पढाई करने वाली मेज(टेबल) पर आईना नहीं रखना चहीये, पढाई करने वाली मेज(टेबल) पर शीशा रखने से मानसिक अशांति होती हैं। पढाई मे मन नहीं लगता।
व्यवसायिक प्रतिष्ठान या ऒफिस में भी आइने का प्रयोग उचित दिशा मे और कम से कम मात्रा में प्रयोग करे, जिस्से व्यवसायिक प्रतिष्ठान या ऒफिस का वातावरण सकारात्मक उर्जा से प्रवाहित रहें।
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