जन्म कुंडली में नीच लग्नेश से रोग और परेशानी? (भाग:१)
मेष लग्न:
मेष लग्न में जन्म लेने वाले जातक कि कुंडली में लग्नेश मंगल लग्न भाव और अष्टम भाव का स्वामी होता हैं। कुंडली में चतुर्थ भाव में मंगल नीच का होने पर ज्यादातर व्यक्ति को छोटी-मोटी चोट लगती राहती हैं, उसे शल्य चिकित्सा(ऑपरेशने) भी करवानी पड सकती हैं। व्यक्ति को हृदय में दर्द, उच्च रक्तचाप (हाई बी.पी), जलीय स्थान से भय, जहरीले जीवजंतु के काटने और जहरीले पदार्थ से से कष्ट हो सकता हैं। मातृ पक्ष से परेशानी, भूमि-भवन इत्यादी संपती से हानि हो सकती हैं। उपरोक्त परेशानी होने पर व्यक्ति को मंगल ग्रह कि शांति हेतु मंगलवार को मूंगा, मसूर, घी, गुड़, लाल कपड़ा, रक्त चंदन, गेहूँ, केसर, ताँबा, लाल फूल का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
वृषभ लग्न:
वृषभ लग्न में जन्म लेने वाले जातक कि कुंडली में लग्नेश शुक्र लग्न भाव और षष्ठम भाव का स्वामी होता हैं। कुंडली में पंचम भाव में शुक्र नीच का होने, पर शास्त्रोंक्त मत से शुक्र व्यक्ति को जड़ बुद्धि अर्थात मूर्ख बनाता हैं। एसे व्यक्ति का दिमाग गलत कार्यों कि और ज्यादा अग्रस्त रहता हैं, जिस्से व्यक्ति अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना चाहता हैं, और सफलता भी प्राप्त करता हैं। उसकी मित्रता निम्न-स्तर के लोगों के साथ होती हैं। व्यक्ति नीच स्त्री-पुरुष से संपर्क रखने वाला हो सकता हैं। व्यक्ति को स्त्री वर्ग के कारण कारावास कि सजा हो सकती हैं। शुक्र सौंदर्य, भोग-विलास, ऎश्वर्य, अलंकार, रति सुख, ऎशो-आराम, स्त्री वर्ग इत्यादी पर अपना स्वामीत्व रखता हैं। इस लिये इन सबके प्रति व्यक्ति का अधिक झुकाव चरित्र से कमजोर कर देता हैं, जिस्से वह गलत कार्यों में सलग्न हो सकता हैं। उपरोक्त परेशानी होने पर व्यक्ति को शुक्र ग्रह कि शांति हेतु शुक्रवार को श्वेत रत्न, चाँदी, चावल, दूध, सफेद कपड़ा, घी, सफेद फूल, धूप, अगरबत्ती, इत्र, सफेद चंदन दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
मिथुन लग्न:
मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले जातक कि कुंडली में लग्नेश बुध लग्न भाव और चतुर्थ भाव का स्वामी होता हैं। कुंडली में दशम में बुध नीच का होने, पर व्यक्ति सांस की नली, आंतड़ियाँ, दमा, कफ जनीत रोग, गुह्य रोग, गैस, सांस फूलना, उदर रोग, वातरोग, कृष्ठ रोग, मंदाग्नि, शूल, फेफड़े इत्यादी के रोग से पीड़ित हो सकता हैं। व्यक्ति को व्यापार, नौकरी, साझेदारी से भी परेशानी उठानी पड़ सकती हैं। व्यक्ति को खासकर अपने पिता से संबंधो में कठिनाईया आसकती हैं। उपरोक्त परेशानी होने पर व्यक्ति को बुध ग्रह कि शांति हेतु बुधवार को हरा पन्ना, मूँग, घी, हरा कपड़ा, चाँदी, फूल, काँसे का बर्तन, कपूर का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
कर्क लग्न:
कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातक कि कुंडली में लग्नेश चंद्र पंचम भाव में स्थित हों ने पर चंद्रमा नीचका होता हैं। कुंडली में पंचम में चंद्र नीच का होने, पर व्यक्ति को ज्यादातर गैस, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), पेट के रोग, मानसिक अशांति, देहीक सौंदर्य, कफ, वात प्रकृति, अनिंद्रा, पांडुरोग, स्त्री संबंधित रोग इत्यादी से कष्ट हो सकता हैं। चंद्र पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर व्यक्ति को पर पागलपन भी हो सकता हैं। उपरोक्त परेशानी होने पर व्यक्ति को चंद्र ग्रह कि शांति हेतु सोमवार को मोती, चाँदी, चावल, चीनी, जल से भरा हुवा कलश, सफेद कपड़ा, दही, शंख, सफेद फूल, साँड आदि का दान करने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
(क्रमश.....)
mai abhay mishra allahabad se,mujhe swapn me pani me tairte aur ek kankal ne muje bola ki thakur ji mahraj ki puj karo,aur bhul gaya hu,iska kya mtlab hai......
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