कन्या कि कुंडली में विधवा बनाने वाले योग।
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2010)
• किसी लड़कि का जन्म रविवार या शनिवार को अश्लेषा नक्षत्र एवं द्वितीया तिथि के संयोग में हुवा हो, तो उससे वैध्व्य योग बनता हैं।
• किसी लड़कि का जन्म शनिवार को कृतिका नक्षत्र एवं सप्तमी तिथि के संयोग में हुवा हो, तो उससे वैध्व्य योग बनता हैं।
• किसी लड़कि का जन्म मंगलवार को शतभिषा नक्षत्र एवं सप्तमी या द्वादशी तिथि के संयोग में हुवा हो, तो उससे वैध्व्य योग बनता हैं।
• किसी लड़कि का जन्म रविवार को विशाखा नक्षत्र एवं द्वादशी तिथि के संयोग में हुवा हो, तो उससे वैध्व्य योग बनता हैं।
• इसके अलावा लड़का या लड़की किसी की भी कुंडली में सप्तम स्थान पर यदि सूर्य, राहु, मंगल, शनि, हो तो उसे जीवन साथी से निराशा होती हैं।
• किसी भी कारण से उनका विवाह संबध विच्छेद हो जाने के योग प्रबल होते हैं।
• प्रतिपदा (एकम) तिथि के दिन मूल नक्षत्र, पंचमी तिथि के दिन भरणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के दिन कृतिका नक्षत्र, नवमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र, दशमी तिथि के दिन अश्लेषा नक्षत्र एवं एकादशी तिथि के दिन मघा नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति ज्वालामुखी योग से युक्त होने के कारण दांपत्य जीवन सुखमय नहीं होता हैं।
विवाह हेतु कुंडली मिलान करवाते समय नाड़ी दोष को भी अवश्य देखले क्योकि ज्योतिष विद्वानो के अनुशार यदि वर-कन्या के नक्षत्रों में नज़दीकियां हों, तो विवाह के एक वर्ष के भीतर कन्या की मृत्यु हो सकती हैं अथवा तीन वर्षों के अंदर उसके पति कि मृत्यु होने से कन्या विधवा होने की संभावना बनी रहती हैं। इस लिये नाड़ी दोष का भी अवस्य ध्यान रखें।
• कुंडली मिलाने में यदि कन्या और वर दोनों कि आदि नाड़ी हों, तो उनका विवाह होजाने पर दोनों के वैवाहिक संबंध अधिक दिनों तक सुखमय नहीं रहता अर्थात दोनों में अलगाव हो ने कि प्रबल संभावना बनती हैं।
• कुंडली मिलाने में कन्या और वर दोनों कि कुंडली में मध्य नाड़ी हो, तो उनका विवाह हो जाने पर दोनों कि मृत्यु हो सकती हैं।
• कुंडली मिलाने में कन्या और वर दोनों कि कुंडली में अंत्य नाड़ी हो, तो उनका विवाह हो जाने पर दोनों का जीवन दु:खमय व्यतित होता हैं।
नोट: कुंडली मिलाने में वर-कन्या दोनों कि उक्त वर्णित तीनों में कोई भी एक समान नाड़ियां हो, तो विवाह वर्जित है।
यदि किसी कन्या कि कुंडली में एसी स्थितीयां बन रही हैं तो उस्से डरने के बजाय उसके निवारण के उपाय करने चाहिये।
उपाय
• भगवान शिव पार्वती का पूजन करने से अशुभता में कमी आती हैं।
• महामृत्युंजय मंत्र का जप अनुष्ठान किसी योग्य ब्राह्मण से संपन्न करवायें।
• कुम्भ विवाह करने से भी अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।
• किसी देवी प्रतिमा से सिंदुर लेकर रोज अपने ललाट पर लगाने से अशुभता में कमी आती हैं।
• अपने माता-पिता एवं बडे बुजुर्ग का आशिर्वाद लें।
• अपना चरित्र साफ रखें एवं अनौतिक कर्मो से बचें।
• प्रेम विवाह करने से बचें।
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