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होली दहन के पश्चयात समाप्त होंगे होलाष्टक
इस वर्ष 12 मार्च शनिवार से होलाष्टक प्रारंभ हो रहे हैं होलाष्टक 19 मार्च फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन होलीका दहन के प्रश्चयात समाप्त होंगे। शास्त्रीय मत के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। क्योकि इस दौरान नारायण भक्त प्रह्लाद का अधिग्रहण हुवा था इस कारण समय अशुभ माना जाता हैं।
होलाष्टक का महत्व क्या है ?
होली के आठ दिन पूर्व होलाष्टक प्रारंभ हो जाते हैं।
एसी मान्यता हैं कि इन आठ दिनों में
- फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को चंद्रमा का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल नवमी को सूर्य का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल दशमी को शनि का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल एकादशी को शुक्र का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को गुरु का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी को बुध का रुप उग्र होता हैं।
- फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी को मंगल का रुप उग्र होता हैं।
- एवं फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन राहु का रुप उग्र होता हैं।
इस लिये इस समय के दौराण शुभ कार्य करने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं इस कारण हमारे विद्वानो ने इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माना हैं।
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