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रविवार, अप्रैल 03, 2011

विक्रम संवत 2068 नव संवत्‍सर का परिचय

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नव संवत्‍सर का परिचय


 
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 4-अप्रैल-2011 से शुरू होने वाले विक्रम संवत 2068 के राजा चंद्र व मंत्री देव गुरु बृहस्पति होंगे। ज्योतिषीय गणना के आधार पर नव संवत्सर के लिए ग्रहों के बीच विभागों का बंटवारा हो चुका हैं। 2068 के नव संवत्सर का नाम क्रोधी हैं। इस संवत का स्वामी शनि है जो भ्रष्टाचार, दूराचार, प्राकृतिक आपदा का द्योतक है। सत्ता पक्ष के कारण आम लोग मंदी के दौर से गुजर सकते हैं।

चंद्रमा राजा है जो धन, धान्य और वर्षा का प्रतीक हैं। गुरु मंत्री है जो जनता और राजा में उल्लास पैदा करेगा।

बुध सेनापति हैं जो राजकोष को खाली करासकता हैं व तस्करी और चोरी की अधिकता हो सकती हैं। सत्ता पक्ष में अंतर्कलह रहता है तथा प्रजा मंदी के दौर से गुजरती है।

नवग्रहो में चंद्र व गुरु दोनो शुभ ग्रह हैं। इसलिए इनके महत्वपूर्ण स्थान पर रहने से सालभर लोगों में धर्म व आध्यात्म के प्रति आस्था बढ़ेगी। ग्रहो की स्थिती के कारण 2068 वर्ष बारिश अच्छी होगी व फसल भी अच्छी हो सकती हैं। इस वर्ष राजनीति व समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वालों को तनाव का सामना करना पड़ सकता हैं। शिक्षा व धर्म क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों का सम्मान बढ़ेगा।

कृषि कार्य से जुडे लोगो को अत्याधिक लाभ प्राप्त हो सकता हैं परंतु कुछ क्षेत्रो में किटको के प्रकोप और अन्य प्राकृतिक आपदा की मार होने पर भारी नुक्शान संभव हैं। अपराधों में बढ़ोतरी होगी। उत्तर भारत व पश्चिमी क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकोप हो सकते हैं। इस वर्ष महिलाओं का प्रभाव बढ़ेगा। कृषि कार्य, गौ व दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती हैं। धन-धान्य की वृद्धि होगी। क्रोधी संवत्सर लोगो में क्रोध, लोभ, भ्रष्टाचार, प्राकृतिक आपदा का परिचायक है।

संवत्सर का निवास काली के घर मना गया हैं जो पैदावार बढ़ाएगा। संवत्सर का वाहन मृग है। क्रोधी नामक संवत्सर क्रोध और लोभ की भावना जगाएगा। भ्रष्टाचार की स्थिति अधिक बनेगी। महंगाई बढ़ेगी।

संवत्सर का मंत्रिमंडल
  • स्वामी : शनि
  • चंद्रमा राजा,
  • गुरु मंत्री,
  • सूर्य शश्येश,
  • मंगल रसेष,
  • बुध दुर्गेश, मेघेष व फलेश,
  • शुक्र धान्येश व
  • शनि धनेश होंगे।
संवत्‍सर प्रारंभ में ग्रह स्‍थितियां
4 अप्रेल 2011 चैत्र प्रतिपदा से नव वर्ष नव संवत्‍सर विक्रमाब्‍द 2068 प्रारंभ हो रहा हैं।
सूर्य – मीन में 14 अप्रेल तक , 14 अप्रेल के बाद मेष राशि में,
मंगल – 25 अप्रेल 2011 से मीन में मंगल उदय ,
बुध 17 अप्रेल 2011 से मीन राशि में बुधोदय,
गुरू 24 अप्रेल 2011 से मीन राशि में गुरू उदय,
शुक्र वर्तमान में कुंभ राशि में 16 अप्रेल 2011 से मीन राशि में,
शनि कन्‍या राशि में वर्तमान वक्र गति शील – 13 जून से मार्गी एवं 26 सितम्‍बर को अस्‍त व 30 अक्‍टूबर को उदय तथा 15 नवम्‍बर 2011 को राशि परिवर्तन कर तुला राशि में इसके बाद वर्ष पर्यन्त तुला राशि में गोचर राहू – केतु – क्रमश: धनु एवं मिथुन राशि में वर्तमान 6 जून 2011 से राहू – वृश्‍चिक राशि में एवं केतु वृष राशि में गोचर करेंगें ।

राशियों पर प्रभाव ग्रहो का प्रभाव।
  • मेष- धन लाभ की स्थिती बन रही हैं।
  • वृषभ-शारीरिक कष्ट संभव हैं।
  • मिथुन- स्वास्थ्य कमजोर हो सकता हैं सावधानी बर्ते।
  • कर्क- माता, भूमि, भवन, वाहन के सुख में वृद्धि होगी।
  • सिंह- पूर्व की परेशानियां दूर होंगी।
  • कन्या- मानसिक तनाव, मानहानि संभव हैं।
  • तुला- स्त्री सुख प्राप्त होगा स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
  • वृश्चिक- अधिक संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त होगी।
  • धनु- आकस्मिक धनलाभ प्राप्त हो सकता हैं।
  • मकर- इस दौरान आपको सामान्य लाभ प्राप्त होंगे।
  • कुंभ- कामकाज की अधिकता रह सकती हैं।
  • मीन- दूरस्थ यात्रा हो सकती हैं, धनलाभ होगा।
सभी प्रकार के सुख-शांति एवं समृद्धि के लिए अपने पूजन स्थान में शुद्ध घी का दीपक जलाएं, इस्से आने वाले वर्ष भर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती रहेगी। किसी धर्मस्थल पर पूजन कर पंचांग आदी धार्मिक पुस्तव व ग्रंथो का दान तथा उसकी फलश्रुति सुनने से गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होता हैं।

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