मां लक्ष्मी, धन प्राप्ति, शरद पूर्णिमा, सोना-चाँदी, चांदी, लक्ष्मी जी को खीर का भोग,
कोजागरी पूर्णिमा (11-अक्टूबर-2011)
आश्विन मास की पूर्णिमा को 'कोजागर व्रत' रखा जाता हैं। इस लिये इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
इस दिन व्यक्ति विधिपूर्वक स्नान करके व्रत-उपवास रखने का विधान हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से ताँबे या मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढँकी हुई स्वर्णमयी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित किया जाता हैं। फिर लक्ष्मी जी कि भिन्न-भिन्न उपचारों से पूज-अर्चना करने का विधान हैं। सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर सोने, चाँदी अथवा मिट्टी के घी से भरे हुए दीपक जलाने कि परंपरा हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
इस दिन घी मिश्रित खीर को पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखा जाता हैं। एक प्रहर (३ घंटे) खीर को चाँदनी में रखनेके बाद में उसे लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण कि जाती हैं। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण किया जाता हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
मान्यता हैं कि पूर्णिमा कि मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने हाथो में वर और अभय वरदान लिए भूलोक में विचरती हैं। इस दिन जो भक्तजन जाग रहा होता हैं उसे माता लक्ष्मी धन-संपत्ति प्रदान करती हैं। GURUTVA KARYALAY | GURUTVA JYOTISH
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर -2011)
OCT-2011
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