Surya Stotra , sury Stotra
सूर्य स्तोत्र में सूर्य देव के २१ पवित्र, शुभ एवं गोपनीय नाम हैं।
स्तोत्र :
सूर्य देव के २१ नाम :
'विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत-
सूर्य देव के इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सर्वदा प्रिय है।' (ब्रह्म पुराण : 31.31-33)
सूर्य स्तोत्र का नियमीत सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय पाठ करने से व्यक्ति सब पपों से मुक्त होकर, उसका शरीर निरोगी होता हैं, एवं धन की वृद्धि कर व्यक्ति का यश चरों और फेलाने वाला हैं। इसे स्तोत्रराज भी काहा जाता हैं। सूर्य स्तोत्र को तीनों लोकों में प्रसिद्धि प्राप्त हैं।
संपूर्ण प्राण प्रतिष्ठित सूर्य यंत्र को पूजा स्थान मे स्थापीत कर के नित्य यंत्र को धूप-दीप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
सूर्य स्तोत्र
सूर्य स्तोत्र में सूर्य देव के २१ पवित्र, शुभ एवं गोपनीय नाम हैं।
स्तोत्र :
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
सूर्य देव के २१ नाम :
'विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत-
सूर्य देव के इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सर्वदा प्रिय है।' (ब्रह्म पुराण : 31.31-33)
सूर्य स्तोत्र का नियमीत सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय पाठ करने से व्यक्ति सब पपों से मुक्त होकर, उसका शरीर निरोगी होता हैं, एवं धन की वृद्धि कर व्यक्ति का यश चरों और फेलाने वाला हैं। इसे स्तोत्रराज भी काहा जाता हैं। सूर्य स्तोत्र को तीनों लोकों में प्रसिद्धि प्राप्त हैं।
संपूर्ण प्राण प्रतिष्ठित सूर्य यंत्र को पूजा स्थान मे स्थापीत कर के नित्य यंत्र को धूप-दीप करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
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