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गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010

भवन निर्माण और गौ सेवा (भाग:१)

Bhavan Nirman aur Gao Seva Bhag:1 , Bhavan Nirmaan or Gou Seva Part:1, Bhag:1

भवन निर्माण और गौ सेवा (भाग:१)

जिस भूमि पर भवन निर्माण का शुभारंभ करना हो उस जगह पर निर्माण कार्य प्रारंभ करने से कुछ दिन पूर्व यदि गाय को वहा रख कर गाय की संपूर्ण श्रद्धा से सेवा की जाये तो उस भूमि पर बनने वाला भवन बिना किसी परेशानि और बिना धन के अभाव में गृह का निर्माण कार्य समाप्त हो जाता हैं।

वास्तुशास्त्र के सभी प्रमुख ग्रंथो में भवन निर्माण से पूर्व गाय को ताजे जन्मे बछडे के साथ में बाधने पर विशेष जोर दिया गया हैं।

यदि गाय को प्रसव से पूर्व बांधना और भी उत्तम होता हैं एसी मान्यता प्रचलन में हैं, क्योकि गाय के भीतर प्रसव के बादमें जो ममता का भाव होता हैं वह अतुल्य होता हैं जिसे शब्दों में बया करना संभव नहीं हैं, एसे में यदि उस भूमि पर उस गाय की सेवा की जाये तो गाय के भीतर से जो भाव निकलते हैं वह उस भूमि पर बनने वाले भवन में सकारत्मन उर्जा को बढाने हेतु सहायक होता हैं। एवं सकारात्मक उर्जावाले स्थान पर निवास करना अति उत्तम मानागया हैं।

निविष्टं गोकुलं यत्र श्वांस मुंचति निर्भयम्।
विराजयति तं देशं पापं चास्याप कर्षति॥

अर्थात:- जिस स्थान पर गाय विराजमान हो कर निर्भयता पूर्वक श्वास लेती हैं, उस भूमि पर से सारे पापों को खींच लेती हैं।

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