गौ सेवा का महत्व
भारतीय परंपरा के मत से गाय के शरीर में ३३ करोड़ देवता वास होता हैं, एवं गौ-सेवा से एक ही साथ 33 करोड देवता प्रसन्न होते हैं।
हिन्दू संस्कृति जिस घर में गाय माता का निवास करती हैं एवं जहां गौ सेवा होती है, उस घर से समस्त परेशानीयां कोसों दूर रहती हैं। भारतीय संस्कृति में गाय को माता का संम्मान दिय जाता हैं इस लिये उसे गौ-माता केहते है।
गाय प्राप्त गाय का दूध, दूध ही नहीं अमृत तुल्य हैं। गाय से प्राप्त दूध, घी, मक्खन से मानव शरीर पुष्ट बनता हैं । एवं गाय का गोबर चुल्हें, हवन इत्यादि मे उप्युक्त होता हैं और यहां तक की उसका मूत्र भी विभिन्न दवाइयां बनाने के काम आता हैं।
गाय ही ऐसा पशुजीव हैं जो अन्य पशुओं में सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान माना हैं।
कहाजाता हैं भगवान श्री कृष्ण छह वर्ष के गोपाल बने क्योंकि उन्होंने गौ सेवा का संकल्प लिया था। भगवान श्री कृष्ण ने गौ सेवा करके गौ का महत्व बढाया हैं।
- गाय के मूत्र में कैंसर, टीवी जैसे गंभीर रोगों से लड़ने की क्षमता होती हैं, जिसे वैज्ञानिक भी मान चुके हैं।
- गौ-मूत्र के सेवन करने से पेट के सभी विकार दूर होते हैं।
- ज्योतिष शास्त्र मे भी नव ग्रहो के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिये गाय को विभिन्न प्रकार के अन्न का वर्णन किया गया हैं।
- यदि बच्चे को बचपन से गाय के दूध पिलाया जाए तो बच्चे की बुद्धि कुशाग्र होती हैं।
- गाय के गोबर को आंगन लिपने एवं मंगल कार्यो मे लिया जाता हैं।
- गोबर, गौ मूत्र, गौ-दही, गौ-दूध, गौधृत ये पंचगव्य हैं।
- गाय की सेवा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।
इस संसार मे आज हर व्यक्ति किसी न किसी कारण दुखी हैं। कोई अपने कर्मों या अपने पर आई विपदाओं से दुखी हैं अर्थात वह अपने दुखों के कारण दुखी हैं मगर कोई दूसरे के सुख से दुखी हैं अर्थात ईर्षा के कारण भी दुखी हैं। यानी यहां दुखी हर कोई हैं कारण भले ही भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इन समस्त परेशानीओ का निदन है गौ सेवा।
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