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बुधवार, अप्रैल 14, 2010

अधिक मास (15 Apr- 14 May

adhik masa, adhik maha

अधिक मास (15 Apr- 14 May)
 
हिन्दु पंचागों के अनुसार एक वर्ष १२ मास का होता हैं लेकिन यह विक्रम संवत् 2067 में 2 बैशाख मास होंगे।

इस लिये यह वर्ष १२ वर्ष कि जगह १३ मास का होगा। एवं यह अधिक मास 15 अप्रैल से प्रारंभ होकर 14 मई तक रहेगा। इस्से पूर्व २ वैशाख माह एक साथ में सन १९७२ में एवं सन १९९१ वर्ष में थे।
 
धार्मिक द्रष्टि से देखे तो इस अधिक मास का विशेष महत्व हमारे धर्म शास्त्रो में बताया गया हैं। अधिक मास के दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य प्रतिबंधित माने जाते रहते हैं लेकिन धार्मिक अनुष्ठान जेसे इष्ट आराधना, जप, तप करने से विशेष लाभदायी सिद्ध होते देखा गया हैं।
 
जिस मास के दोनो पक्ष (शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष) में सूर्य की संक्रांति का अभाव होता हैं, उसे अधिक मास कहा जाता हैं। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में होने वाले परिवर्तन को संक्रांति कहाजाता हैं। एवं जिस मास में सूर्य का राशि-परिवर्तन नहीं होता है तो उस मास को अधिकमास (मलमास एवं पुरुषोत्तम मास) कहा जाता हैं।
  • अधिक मास में सांसारिक कर्म जैसे विवाह, गृहारंभ, गृह-प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत, व्यापार का शुभारंभ, नववधू का प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, यज्ञ, भूमि, आभूषण, वस्त्र, गाडी खरीदना आदि को वर्जित माना गया हैं।
  • अधिक मास में निष्काम भाव से पूजा-अर्चना, सत्संग, भजन-कीर्तन, तीर्थयात्रा और दान आदि करने से अत्याधिक लाभ कि प्राप्ति होती हैं।

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