राधाकृत गणेशस्तोत्रम्
श्रीराधिकोवाच:
परम् धाम परम् ब्रह्म परेशम् परमीश्वरम्। विघन्निघन्करम् शान्तम् पुष्टम् कान्तमनन्तकम्॥
सुरासुरेन्द्रै: सिद्धैन्द्रै: स्तुतम् स्तौमि परात्परम्। सुरपद्मदिनेशम् च गणेशम् मङ्गलायनम्॥
इदम् स्तोत्रम् महापुण्यम् विघन्शोकहरम् परम्। य: पठेत् प्रातरुत्थाय सर्वविघनत् प्रमुच्यते॥
इस स्तोत्र का प्रति दिन पाठ करने से मनुष्य के सारे विघ्नो एवं शोको का नाश होता हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें