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बुधवार, दिसंबर 07, 2011

1 से 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ (भाग:1)


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1 से 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ (भाग:1)

लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2011)
एक मुखी:
एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात ब्रह्म स्वरुप हैं।
·         एक मुखी रुद्राक्ष काजू के समान अर्थात अर्धचंद्राकार स्वरुप में प्राप्त होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष गोल आकार में सरलता से प्राप्त नहीं होता हैं। क्योकि गोलाकार में मिलना दुर्लभ मानागया हैं। बडे सौभाग्य किसी मनुष्य को गोल एक मुखी रुद्राक्ष के दर्शन एवं प्राप्त से होता हैं।
·         इस लिए एकमुखी रुद्राक्ष भोग व मोक्ष प्रदान करने वाला हैं।
·         जो मनुष्य ने एकमुखी रुद्राक्ष धारण किया हो उस पर मां लक्ष्मी ……………
·         एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य के घर में धन………….
·         एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले मनुष्य की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
·         जिस स्थान पर एकमुखी रुद्राक्ष होता हैं वहां से समस्त……….
·         एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से अंतःकरण ………..
·         भगवान शिव का वचन हैं की एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से ब्रह्म………..
·         एकमुखी रुद्राक्ष सर्व प्रकार कि अभीष्ट सिद्धियों को प्रदान करने वाला हैं।
·         एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने से धारण कर्ता में सात्त्विक उर्जा में वृद्धि करने में सहायक, मोक्ष प्रदान करने समर्थ हैं।
·         एकमुखी रुद्राक्ष धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान ……………..>>
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एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र:-
ॐ एं हं औं ऎ ॐ॥

दोमुखी रुद्राक्ष:
·         दो मुखी रुद्राक्ष बादाम के समान आकार में व गोलाकार स्वरुप दोनो स्वरुपों में प्राप्त होता हैं।
·         दो मुखी रुद्राक्ष साक्षात अर्द्धनारीश्वर का स्वरुप हैं। कुछ ग्रंथो में दो मुख वाले रुद्राक्ष को देव देवेश्वर कहा गया हैं।
·         शिव-शक्ति की निरंतर कृपा प्राप्ति हेतु दोमुखी रुद्राक्ष विशेष लाभकारी होता हैं।
·         दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक …….
·         दो मुखी रुद्राक्ष धारण कर्ता को आध्यात्मिक ……….
·         दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से उदर .
·         दो मुखी रुद्राक्ष आकस्मिक दुर्घटनाओं ……..
·         दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से गौ ……..
·         दो मुखी रुद्राक्ष से अनेक प्रकार की व्याधि..
·         दो मुखी रुद्राक्ष मनुष्य की मनोकामनाओं …………
·         यदि दो मुखी रुद्राक्ष को गर्भवती स्त्री अपनी कमर ……………..>>
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दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र:-
ॐ क्षीं ह्रीं क्षौं व्रीं ॐ॥

असली 1 मुखी से 14 मुखी रुद्राक्ष
गुरुत्व कार्यालय में संपूर्ण प्राणप्रतिष्ठित एवं असली 1 मुखी से 14 मुखी तक के रुद्राक्ष उपलब्ध हैं। ज्योतिष कार्य से जुडे़ बंधु/बहन व रत्न व्यवसाय से जुडे लोगो के लिये विशेष मूल्य पर रत्न, उपरत्न यंत्र, रुद्राक्ष व अन्य दुर्लभ सामग्रीयां एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। रुद्राक्ष के विषय में अधिक जानकारी के लिए कार्यालय में संपर्क करें।
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91+ 9238328785
तीन मुखी रुद्राक्ष:
·         तीन मुखी रुद्राक्ष थोडा लंबे आकार में व गोलाकार स्वरुप दोनो स्वरुपों में प्राप्त होता हैं।
·         तीन मुखी रुद्राक्ष साक्षात अग्नि का स्वरुप हैं।
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से गंभिर………….
·         यदि कोई लम्बे समय से रोगग्रस्त हैं तो ………..
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना पीलिया के रोगी के लिए अत्याधिक लाभकारी होता हैं।
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्फूर्ति, कार्यक्षमता में वृद्धि होती हैं।
·         जानकारों के मतानुशार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्त्री ………….
·         कुछ विद्वानो का मत हैं की तीन मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म हत्या ……………
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने ………..
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अद्भुत …………..
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना मंदबुद्धि बच्चों के बौधिक विकास के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता हैं।
·         निम्न रक्तचाप ………..
·         तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अग्निदेव की कृपा प्राप्त होती हैं।
·         तीन मुखी रुद्राक्ष से ……………..>>
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तीनमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र:-
ॐ रं हूं ह्रीं हूं ओं॥

चार मुखी रुद्राक्ष:
·         चार मुखी रुद्राक्ष साक्षात ब्रह्मा का स्वरुप हैं।
·         चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बौधिक शक्ति का विकास होता हैं।
·         विद्याध्ययन करने वाले बच्चो के बौधिक विकास एवं स्मरण शक्ति के विकास के ……………….
·         चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से .
·         चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक…………….
·         विद्वानो का कथन है की चार मुखी रुद्राक्ष के दर्शन एवं स्पर्श ………………
·         चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जीव हत्या …………….
·         चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
चार मुखी रुद्राक्ष को अभीष्ट सिद्धियों ………………….……………..>>
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चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मन्त्र:-
ॐ व्रां क्रां तां हां ई॥
……………..>>
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संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका दिसम्बर-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।

>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर -2011)
DEC-2011

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मंगलवार, दिसंबर 06, 2011

रुद्राक्ष धारण करना क्यों कल्याणकारी हैं?

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रुद्राक्ष धारण करना क्यों कल्याणकारी हैं?
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2011)

रुद्र के अक्ष से प्रकट होने के कारण रुद्राक्ष को साक्षात शिव का लिंगात्मक स्वरुप माना गया हैं। विद्वानो का कथ हैं की रुद्राक्ष में एक विशिष्ट प्रकार की दिव्य उर्जा शक्ति समाहित होती हैं। प्रायः सभी ग्रंथकारों व विद्वानो ने रुद्राक्ष को असह्य पापों को नाश करने वाला माना हैं।
इस लिए शिव माहा पुराण में उल्लेख किया गया हैं।

शिवप्रियतमो ज्ञेयो रुद्राक्षः परपावनः।
दर्शनात्स्पर्शनाज्जाप्यात्सर्वपापहरः स्मृतः॥
अर्थात:  रुद्राक्ष अत्यंत पवित्र, शंकर भगवान का अति प्रिय हैं। उसके दर्शन, स्पर्श व जप द्वारा सर्व पापों का नाश होता हैं।
रुद्राक्ष धारणाने सर्व दुःखनाशः
अर्थात: रुद्राक्ष असंखय दुःखों का नाश करने वाला हैं।

रुद्राक्ष शब्द के उच्चारण से गोदा का फल प्राप्त होता हैं।
रुद्राक्ष के विषय में रुद्राक्ष जावालोपनिषद में स्वयं भगवान कालग्नी का कथन हैं:

तद्‌रुद्राक्षे वाग्विषये कृते दशगोप्रदानेन            
यत्फलमवाप्नोति तत्फलमश्‍नुते ।
करेण स्पृष्टवा धारणमात्रेण द्विसहस्त्र
गोप्रदान फल भवति ।
कर्णयोर्धार्यमाणे एकादश सहस्त्र गोप्रदानफलं भवति ।
एकादश रुद्रत्वं च गच्छति ।
शिरसि धार्यमाणे कोटि ग्रोप्रदान फलं भवति ।
अर्थात: रुद्राक्ष शब्द के उच्चारण से दश गोदान (गाय का दान) का फल प्राप्त होता हैं। रुद्राक्ष का स्पर्श करने व धारण करने से दो हजार गोदान (गाय का दान) का ……………..>>
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अलग-अलग रंगों के रुद्राक्ष में अलग-अलग प्रकार की शक्तियां निहित होती हैं। इस लिये रंगो के अनुसार रुद्राक्ष का प्रभाव मनुष्य पर पड़ता हैं।
ब्राह्मणाः क्षत्रियाः वैश्याः शूद्राश्‍चेति शिवाज्ञया ।
वृक्षा जाताः पृथिव्यां तु तज्जातीयोः शुभाक्षमः ।
श्‍वेतास्तु ब्राह्मण ज्ञेयाः क्षत्रिया रक्‍तवर्णकाः ॥
पीताः वैश्यास्तु विज्ञेयाः कृष्णाः शूद्रा उदाह्रुताः ॥

अन्य श्‍लोक में उल्लेख हैं:
ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्याः शूद्रा जाता ममाज्ञया ॥
रुद्राक्षास्ते पृथिव्यां तु तज्जातीयाः शुभाक्षकाः ॥
श्वेतरक्ताः पीतकृष्णा वर्णाज्ञेयाः क्रमाद्बुधैः ॥
स्वजातीयं नृभिर्धार्यं रुद्राक्षं वर्णतः क्रमात् ॥

श्वेत रंग: सफेद रंग वाले रुद्राक्ष में सात्त्विक उर्जायुक्त ब्रह्म ……………..>>
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रक्तवर्णीय (ताम्र के समान आभायुक्त) : रक्त रंग की आभायुक्त रुद्राक्ष में राजसी उर्जायुक्त शत्रुसंहारक शक्ति समाहित होती हैं। इस लिए क्षत्रिय को रक्तवर्णीय रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
पीतवर्णीय (कांचन या पीली आभायुक्त) : पीले रंग की आभायुक्त रुद्राक्ष में ……………..>>
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कृष्णवर्णीय: काले रंग की आभायुक्त रुद्राक्ष में तामसी ……………..>>
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यह शास्त्रों मे उल्लेखित विद्वान ऋषियों का निर्देश है कि मनुष्य को ……………..>>
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वर्णैस्तु तत्फलं धार्यं भुक्तिमुक्तिफलेप्सुभिः ॥
शिवभक्तैर्विशेषेण शिवयोः प्रीतये सदा ॥
सर्वाश्रमाणांवर्णानां स्त्रीशूद्राणां।
शिवाज्ञया धार्या: सदैव रुद्राक्षा:॥
सभी आश्रमों (ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ, गृहस्थ और संन्यासी) एवं वर्णों तथा स्त्री और शूद्र ……………..>>
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रुद्राक्ष धारण फलम्
रुद्राक्षा यस्य गोत्रेषु ललाटे च त्रिपुण्ड्रकम्।
स चाण्डालोऽपि सम्म्पूज्यः सर्ववर्णोंत्तमो भवेत्॥
अर्थातः जिसके शरीर पर रुद्राक्ष हो और ललाट पर त्रिपुण्ड हो, वह चाण्डाल भी हो तो सब वर्णों में उत्तम पूजनीय हैं।
अभक्त हो या भक्त हो, नींच से नीच व्यक्ति ……………..>>
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जो मनुष्य नियमानुशार सहस्त्ररुद्राक्ष धारण करता हैं उसे देवगण भी वंदन करते हैं।

उच्छिष्टो वा विकर्मो वा मुक्‍तो वा सर्वपातकैः।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो रुद्राक्षस्पर्शनेन वै॥
अर्थातः जो मनुष्य उच्छिष्ट अथवा अपवित्र रहते हैं या बुरे कर्म करने वाल व अनेक प्रकार के पापों से युक्त वह मनुष्य रुद्राक्ष का स्पर्श करते ही समस्त पापों से छूट जाते हैं।

कण्ठे रुद्राक्षमादाय म्रियते यदि वा खरः।
सोऽपिरुद्रत्वमाप्नोति किं पुनर्भुवि मानवः।
अर्थातः कण्ठ में रुद्राक्ष को धारण कर यदि खर(गधा) भी मृत्यु को ……………..>>
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रुद्राक्षं मस्तके धृत्वा शिरः स्नानं करोति यः।
गंगास्नानंफलं तस्य जायते नात्र संशयः॥
अर्थातः रुद्राक्ष को मस्तक पर धारण करके जो मनुष्य सिर से स्नान करता हैं उसे गंगा स्नान के समान परम पवित्र स्नान का फल प्राप्त होता हैं तथा वह मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता हैं ……………..>>
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संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका दिसम्बर-2011 का अंक पढें।
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DEC-2011

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