Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


रविवार, जनवरी 31, 2010

शाप विमोचन मंत्र

शाप विमोचन मंत्र, चण्डिका शाप विमोचन मन्त्र, चण्डिका शाप विमोचन स्तोत्र चंडिका शाप वीमोचन मंत्र, chandika shap vimochan mantra, chandika shapvimochan mantram, chandeeka shap vimochan mantra, chandika shap vimochan stotra,


शाप विमोचन मंत्र

चण्डिका शाप विमोचन मंत्र
चण्डिका शाप विमोचन मंत्र के पाठ को करने से देवी की पूजा में की गयी किसी भी प्रकार त्रुटि (भूल) से मिला श्राप खत्म हो जाता है।

शाप-विमोचन संकल्प
ऊँ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापविमोचन मन्त्रस्य वसिष्ठनारदसंवादसामवेदाधिपतिब्रह्माण ऋषय: सर्वैश्वर्यकारिणी श्रीदुर्गा देवता चरित्रत्रयं बीजं ह्रीं शक्ति: त्रिगुणात्मस्वरूपचण्डिकाशापविमुक्तो मम संकल्पितकार्यसिद्धयर्थे जपे विनियोग:।

शापविमोचन मंत्र
ॐ (ह्रीं) रीं रेत:स्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिन्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१॥
ॐ रं रक्तस्वरूपिण्यै महिषासुरमर्दिन्यै,ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥२॥
ॐ क्षुं क्षुधास्वरूपिण्यै देववन्दितायै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥३॥
ॐ छां छायास्वरूपिण्यै दूतसंवादिन्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥४॥
ॐ शं शक्तिस्वरूपिण्यै धूम्रलोचनघातिन्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥५॥
ॐ तं तृषास्वरूपिण्यै चण्डमुण्डवधकारिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥६॥
ॐ क्षां क्षान्तिस्वरूपिण्यै रक्तबीजवधकारिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥७॥
ॐ जां जातिरूपिण्यै निशुम्भवधकारिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥८॥
ॐ लं लज्जास्वरूपिण्यै शुम्भवधकारिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥९॥
ॐ शां शान्तिस्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१०॥
ॐ श्रं श्रद्धास्वरूपिण्यै सकलफ़लदात्र्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥११॥
ॐ श्रीं बुद्धिस्वरूपिण्यै महिषासुरसैन्यनाशिन्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१२॥
ॐ कां कान्तिस्वरूपिण्यै राजवरप्रदायै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१३॥
ॐ माँ मातृस्वरूपिण्यै अनर्गलमहिमासहितायै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१४॥
ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सर्वैश्वर्यकारिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१५॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नम: शिवायै अभेद्यकवचस्वरूपिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१६॥
ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फ़ट स्वाहायै ऋग्वेदस्वरूपिण्यै ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद विमुक्ताभव॥१७॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीस्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादेव्यै नम:॥१८॥
इत्येवं हि महामन्त्रान पठित्वा परमेश्वर,चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशय:॥१९॥
एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति य:,आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशय:॥२०॥
(श्रीदुर्गामार्पणामस्तु)
इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


2 टिप्‍पणियां:

  1. Sir I was suffering from many disease from many years.In those days, I used to worship lord shiva and goddess durga.One day goddess durga appear in my dream and saying. that your all problem will remove from your life if you stop eating animal flesh or meat.But unfortunate I ate this.One day a baba appear in my dream cursing me that you will not get even a piece of grain in future.From those day I use to see a man ,wearing a rag clothes wandering here from there in search of food.I used to see this all the time even I eating,moving,and even doing some other work.I continuously used to see.I feel from inside that I would become a begger.From those days I am becoming mentally weak,feeling like that I shall lost my mental capability.please tell me how shall I remove all this problem from my life.Any mantra,any pooja or any sadhna of any god and goddess.please must reply.

    जवाब देंहटाएं