Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


गुरुवार, अगस्त 25, 2011

विभिन्न चमत्कारी जैन मंत्र

विभिन्न चमत्कारी जैन मंत्र
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अगस्त-2011)
का अक्षर का मंत्र :- 
(ओम्) 
ॐ शब्द की ध्वनि पांचो परमेष्ठी नामों के पहले अक्षर को मिलाने पर बनती हैं
जैन मुनियों के मत से अरहन्त  का  पहला   अक्षर  '' जो  अशरीरी अर्थात सिद्ध का  '' हैं ओम शब्द में आचार्य   का  '', उपाध्याय का '', तथा मुनि अर्थात साधु जनो का 'म्',  इस प्रकार सभी शब्दो को जोडने ॐ बनता हैं

दो अक्षरों का मंत्र :-
1. सिद्ध             
2. ॐ ह्रीं
चार अक्षरों का मंत्र :-
1. अरहन्त      
2. अ सि साहू

पंचाक्षरी मंत्र :-
अ सि आ उ सा

षष्टाक्षरी मंत्र :-
1. अरहन्त सिद्ध            
2. अरहन्त सि सा
3.
ॐ नमः सिद्धेभ्य     
4. नमोर्हत्सिद्धेभ्यः

सप्ताक्षरी मंत्र:-
ॐ श्रीं ह्रीं अर्हं नमः

अष्टाक्षरी मंत्र:-
ॐ नमो अरिहंताणं

सोलह अक्षरों का मंत्र :-
अरहंत सिद्ध आइरिया उवज्झाया साहू

35 अक्षरों का मंत्र :-
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं
णमो    उवज्झायाणं,   णमो      लोए    सव्वसाहूणं    ।।

लघु शान्ति मंत्र:-
ॐ ह्रीम् अर्हम् असिआउसा सर्वशान्तिम् कुरु कुरु स्वाहा

मनोरथ सिद्धिदायक मंत्र :-
ॐ ह्रीम् श्रीम् अर्हम् नमः
रोगनाशक मंत्र :-
ॐ ऐम् ह्रीम् श्रीम् कलिकुण्डदण्डस्वामिने नमः आरोग्य-परमेश्वर्यम् कुरु कुरु स्वाहा
(रोग शांति हेतु उक्त मन्त्र को श्रीपार्श्वनाथ जी की प्रतिमा के सम्मुख  शुद्धता व् नियम से 108 बार जप करना अति लाभदायक होता हैं)

रोग निवारक मंत्र :-
ॐ ह्रीं सकल-रोगहराय श्री सन्मति देवाय नमः

रोग निवारक नवकार मंत्र :-
ॐ नमो आमोसहि पत्ताणं
ॐ नमो खेलोसहि पत्ताणं
ॐ नमो जेलोसहि पत्ताणं
ॐ नमो सव्वोसहि पत्ताणं स्वाहा

(उक्त मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से सर्व प्रकार के रोगो की शांति होती हैं रोगी व्यक्ति के कष्ट मे न्यूनता आती हैं)

मंगलदायक मंत्र :- ……………..>>


ऐश्वर्यदायक मंत्र :- ……………..>>

कल्याणकारी मंत्र:- ……………..>>

सर्वसिद्धिदायक मंत्र :- ……………..>>


मनोवांछित कार्यसिद्धि मंत्र:- ……………..>>

सर्वकामना पूरण अर्हं मंत्र:- ……………..>>
सर्वकामना पूरण मंत्र:- ……………..>>

सर्व संपत्तिदायक त्रिभुवन स्वामीनी विद्या मंत्र:-
ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं असिआ उसा चुलु चुलु हुलु हुलु कुलु कुलु मुलु मुलु इच्छियंइ मे कुरु कुरु स्वाहा
(किसी पवित्र स्थान पर साधक अपने सम्मुख पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति/फोटो स्थापित करके धूप-दीप करे चमेली के 24,000 फूल लेकर, हर एक फूल पर एक मंत्र का जप करते हुवे फूल को भगवान को अर्पण करते जाये जप पूरे होने पर मंत्र सिद्ध हो जाता हैं फिर उक्त मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करे जप से साधक को धन, वैभव, संतति, संपत्ति, पारिवारीक सुख इत्यादि की प्राप्ति होती हैं

विवाद विजय मंत्र:- ……………..>>

कलेश नाशक मंत्र:-
ॐ अर्हं आसिआ उसा नमः
(
उक्त मन्त्र के सवालाख जप करने से चमत्कारी परिणाम प्राप्त होते हैं)

मनोवांछित कार्यसिद्धि मंत्र:-
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः असिआ उसा स्वाहा
(उक्त मन्त्र के सवालाख जप पूर्ण होने के पश्चयात प्रतिदिन एक माला जप करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं)


सर्वग्रह शान्ति मंत्र :-
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः असिआउसा सर्व-शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा
(
उक्त मन्त्र को सूर्योदय के समय जप करने से शीघ्र शुभ फलो की प्राप्ति होती हैं)

शान्तिकारक मंत्र :-
1. ॐ ह्रीं परमशान्ति विधायक श्री शान्तिनाथाय नमः
2. ॐ ह्रीं श्री अनंतानंत परमसिद्धेभ्यो नमः  

घंटाकर्ण मंत्र :-
ॐ ह्रीं घंटाकर्णो महावीर, सर्वव्याधि-विनाशकः
विस्फोटकभयं      प्राप्ते,    रक्ष    रक्ष     महाबलः 1
यत्र   त्वं   तिष्ठसे   देव,    लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः
रोगास्तत्र    प्रणश्यन्ति,     वात-पित्त-कफोद्भवाः 2
तत्र राजभयं नास्तियन्ति  कर्णे जपात्क्षयम्
शाकिनी भूत   वेताला,   राक्षसाः प्रभवन्ति न 3
नाकाले    मरणं    तस्य,    न च    सर्पेण दंश्यते
अग्निचौरभयं      नास्ति,          श्रीं     घंटाकर्ण !
नमोस्तु   ते !   नर  वीर !  ठः  ठः  ठः स्वाहा ।।
(घंटाकर्ण महावीर का उक्त मंत्र कलियु में तत्काल प्रभाव देने में समर्थ एवं चमत्कारी हैं इस मन्त्र का नियमित 21 बार जप करने से राज-भय, चोर-भय, अग्नि और सर्प - भय, सब प्रकार की भूत-प्रेत-बाधा दूर होतें हैं साधक की सर्व विपत्ति का स्वतः ही निवारण होने लगता हैं )

सर्वरक्षा मंत्र :- ……………..>>

लक्ष्मी प्राप्ति एवं मनोकामनापूर्ण करने का मंत्र : ……………..>>

लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र :- ……………..>>

नवग्रह शान्ति हेतु मंत्र : ……………..>>


महामृत्युंजय मन्त्र :- 
ॐ ह्रां णमो अरिहंताणं ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं, ॐ ह्रूं णमो आइरियाणं,   ह्रौं णमो  उवज्झायाणं  ह्रः  णमो  लोए   सव्वसाहूणंमम सर्व -ग्रहारिष्टान्     निवारय   निवारय    अपमृत्युं    घातय    घातय    सर्वशान्तिं कुरु कुरु स्वाहा
(उक्त मन्त्र को विधि-विधान से धूप-दीप जलाकर पूर्ण निष्ठा पूर्वक इस मंत्र का स्वयं जाप कर सकते हैं   या   अन्य   द्वारा   करवा सकते हैं। यदि   अन्य   व्यक्ति जाप   करे तो  'मम'   के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम जोड़ लें जिसके लिए  जाप  किया जारहा है। )  उक्त मंत्र का सवा लाख जाप करने   से   ग्रह-बाधा  दूर   हो जाती है  जाप के अनंतर दशांश आहुति देकर हवन करना चाहिए।

संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका अगस्त-2011 का अंक पढें
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अगस्त-2011)

AUG-2011
विभिन्न चमत्कारी जैन मंत्र, जैन मन्त्रो से सर्व कार्य सिद्धि, चमत्कारी जैन मंत्रो से समस्या समाधान, जैन मंत्र से कामना पूर्ति, जैन मन्त्र से रोगनाश, लघु शान्ति मन्त्र, मनोरथ सिद्धिदायक मंत्र, रोगनाशक मंत्र, रोग निवारक मंत्रऐश्वर्यदायक मंत्र, मनोवांछित कार्यसिद्धि मंत्र, सर्वकामना पूरण अर्हं मंत्र, घंटाकर्ण मंत्र, लक्ष्मी प्राप्ति एवं मनोकामनापूर्ण करने का मंत्र, नवकार मंत्र, नवकार मन्त्र, नवकार महामंत्र, नमस्कार महामंत्र, संस्कार महामंत्र, चोबीस तीर्थंकर, जैन पर्यूषण महापर्वजैन पर्युषण पर्व, महावीर स्वामी जन्म वांचन, भगवान महावीर, घंटाकर्ण महावीर महा यंत्र, घंटाकर्ण महावीर महा पतका यंत्र, navakar mantr, navakar mantrm, navakar mahamantr, namaskar mahamantra, sanskar mahamantr, chobis tIrthankar, jain paryushan mahaparv,  jain paryushan parv, mahavir svami janm vanchan, Mahaveer swami janma vanchan Bagavan mahavir, Gantakarn mahavir maha yantr, Gantakarn mahavir maha pataka yantr, vibhinna chamatkaree jain mantra, jain mantro se sarv karya siddhi, chamatkari jain mantro se samasya samadhan, jain mantra se kamana purti, jain mantra se rognasha, laghu shanti mantra, manorath siddhi dayak mantra, rog nashak mantra, rog nivaran mantra, aishwarya dayak mantra, manovanchit karya siddhi mantram, sarva kamana pooran aharm mantra, Gantakarn mahavir maha mantra, lakshami prapti hetu jain mantraવિભિન્ન ચમત્કારી જૈન મંત્ર, જૈન મન્ત્રો સે સર્વ કાર્ય સિદ્ધિ, ચમત્કારી જૈન મંત્રો સે સમસ્યા સમાધાન, જૈન મંત્ર સે કામના પૂર્તિ, જૈન મન્ત્ર સે રોગનાશ, લઘુ શાન્તિ મન્ત્ર, મનોરથ સિદ્ધિદાયક મંત્ર, રોગનાશક મંત્ર, રોગ નિવારક મંત્રઐશ્વર્યદાયક મંત્ર, મનોવાંછિત કાર્યસિદ્ધિ મંત્ર, સર્વકામના પૂરણ અર્હં મંત્ર, ઘંટાકર્ણ મંત્ર, લક્ષ્મી પ્રાપ્તિ એવં મનોકામનાપૂર્ણ કરને કા મંત્ર, ವಿಭಿನ್ನ ಚಮತ್ಕಾರೀ ಜೈನ ಮಂತ್ರ, ಜೈನ ಮನ್ತ್ರೋ ಸೇ ಸರ್ವ ಕಾರ್ಯ ಸಿದ್ಧಿ, ಚಮತ್ಕಾರೀ ಜೈನ ಮಂತ್ರೋ ಸೇ ಸಮಸ್ಯಾ ಸಮಾಧಾನ, ಜೈನ ಮಂತ್ರ ಸೇ ಕಾಮನಾ ಪೂರ್ತಿ, ಜೈನ ಮನ್ತ್ರ ಸೇ ರೋಗನಾಶ, ಲಘು ಶಾನ್ತಿ ಮನ್ತ್ರ, ಮನೋರಥ ಸಿದ್ಧಿದಾಯಕ ಮಂತ್ರ, ರೋಗನಾಶಕ ಮಂತ್ರ, ರೋಗ ನಿವಾರಕ ಮಂತ್ರಐಶ್ವರ್ಯದಾಯಕ ಮಂತ್ರ, ಮನೋವಾಂಛಿತ ಕಾರ್ಯಸಿದ್ಧಿ ಮಂತ್ರ, ಸರ್ವಕಾಮನಾ ಪೂರಣ ಅರ್ಹಂ ಮಂತ್ರ, ಘಂಟಾಕರ್ಣ ಮಂತ್ರ, ಲಕ್ಷ್ಮೀ ಪ್ರಾಪ್ತಿ ಏವಂ ಮನೋಕಾಮನಾಪೂರ್ಣ ಕರನೇ ಕಾ ಮಂತ್ರ, விபிந்ந சமத்காரீ ஜைந மம்த்ர, ஜைந மந்த்ரோ ஸே ஸர்வ கார்ய ஸித்தி, சமத்காரீ ஜைந மம்த்ரோ ஸே ஸமஸ்யா ஸமாதாந, ஜைந மம்த்ர ஸே காமநா பூர்தி, ஜைந மந்த்ர ஸே ரோகநாஶ, லகு ஶாந்தி மந்த்ர, மநோரத ஸித்திதாயக மம்த்ர, ரோகநாஶக மம்த்ர, ரோக நிவாரக மம்த்ரஐஶ்வர்யதாயக மம்த்ர, மநோவாம்சித கார்யஸித்தி மம்த்ர, ஸர்வகாமநா பூரண அர்ஹம் மம்த்ர, கம்டாகர்ண மம்த்ர, லக்ஷ்மீ ப்ராப்தி ஏவம் மநோகாமநாபூர்ண கரநே கா மம்த்ர, విభిన్న చమత్కారీ జైన మంత్ర, జైన మన్త్రో సే సర్వ కార్య సిద్ధి, చమత్కారీ జైన మంత్రో సే సమస్యా సమాధాన, జైన మంత్ర సే కామనా పూర్తి, జైన మన్త్ర సే రోగనాశ, లఘు శాన్తి మన్త్ర, మనోరథ సిద్ధిదాయక మంత్ర, రోగనాశక మంత్ర, రోగ నివారక మంత్రఐశ్వర్యదాయక మంత్ర, మనోవాంఛిత కార్యసిద్ధి మంత్ర, సర్వకామనా పూరణ అర్హం మంత్ర, ఘంటాకర్ణ మంత్ర, లక్ష్మీ ప్రాప్తి ఏవం మనోకామనాపూర్ణ కరనే కా మంత్ర, വിഭിന്ന ചമത്കാരീ ജൈന മംത്ര, ജൈന മന്ത്രോ സേ സര്വ കാര്യ സിദ്ധി, ചമത്കാരീ ജൈന മംത്രോ സേ സമസ്യാ സമാധാന, ജൈന മംത്ര സേ കാമനാ പൂര്തി, ജൈന മന്ത്ര സേ രോഗനാശ, ലഘു ശാന്തി മന്ത്ര, മനോരഥ സിദ്ധിദായക മംത്ര, രോഗനാശക മംത്ര, രോഗ നിവാരക മംത്രഐശ്വര്യദായക മംത്ര, മനോവാംഛിത കാര്യസിദ്ധി മംത്ര, സര്വകാമനാ പൂരണ അര്ഹം മംത്ര, ഘംടാകര്ണ മംത്ര, ലക്ഷ്മീ പ്രാപ്തി ഏവം മനോകാമനാപൂര്ണ കരനേ കാ മംത്ര, ਵਿਭਿੰਨ ਚਮਤ੍ਕਾਰੀ ਜੈਨ ਮਂਤ੍ਰ, ਜੈਨ ਮਨ੍ਤ੍ਰੋ ਸੇ ਸਰ੍ਵ ਕਾਰ੍ਯ ਸਿੱਧਿ, ਚਮਤ੍ਕਾਰੀ ਜੈਨ ਮਂਤ੍ਰੋ ਸੇ ਸਮਸ੍ਯਾ ਸਮਾਧਾਨ, ਜੈਨ ਮਂਤ੍ਰ ਸੇ ਕਾਮਨਾ ਪੂਰ੍ਤਿ, ਜੈਨ ਮਨ੍ਤ੍ਰ ਸੇ ਰੋਗਨਾਸ਼, ਲਘੁ ਸ਼ਾਨ੍ਤਿ ਮਨ੍ਤ੍ਰ, ਮਨੋਰਥ ਸਿੱਧਿਦਾਯਕ ਮਂਤ੍ਰ, ਰੋਗਨਾਸ਼ਕ ਮਂਤ੍ਰ, ਰੋਗ ਨਿਵਾਰਕ ਮਂਤ੍ਰਐਸ਼੍ਵਰ੍ਯਦਾਯਕ ਮਂਤ੍ਰ, ਮਨੋਵਾਂਛਿਤ ਕਾਰ੍ਯਸਿੱਧਿ ਮਂਤ੍ਰ, ਸਰ੍ਵਕਾਮਨਾ ਪੂਰਣ ਅਰ੍ਹਂ ਮਂਤ੍ਰ, ਘਂਟਾਕਰ੍ਣ ਮਂਤ੍ਰ, ਲਕ੍ਸ਼੍ਮੀ ਪ੍ਰਾਪ੍ਤਿ ਏਵਂ ਮਨੋਕਾਮਨਾਪੂਰ੍ਣ ਕਰਨੇ ਕਾ ਮਂਤ੍ਰ, ৱিভিন্ন চমত্কারী জৈন মংত্র, জৈন মন্ত্রো সে সর্ৱ কার্য সিদ্ধি, চমত্কারী জৈন মংত্রো সে সমস্যা সমাধান, জৈন মংত্র সে কামনা পূর্তি, জৈন মন্ত্র সে রোগনাশ, লঘু শান্তি মন্ত্র, মনোরথ সিদ্ধিদাযক মংত্র, রোগনাশক মংত্র, রোগ নিৱারক মংত্রঐশ্ৱর্যদাযক মংত্র, মনোৱাংছিত কার্যসিদ্ধি মংত্র, সর্ৱকামনা পূরণ অর্হং মংত্র, ঘংটাকর্ণ মংত্র, লক্ষ্মী প্রাপ্তি এৱং মনোকামনাপূর্ণ করনে কা মংত্র, ବିଭିନ୍ନ ଚମତ୍କାରୀ ଜୈନ ମଂତ୍ର, ଜୈନ ମନ୍ତ୍ରୋ ସେ ସର୍ଵ କାର୍ଯ ସିଦ୍ଧି, ଚମତ୍କାରୀ ଜୈନ ମଂତ୍ରୋ ସେ ସମସ୍ଯା ସମାଧାନ, ଜୈନ ମଂତ୍ର ସେ କାମନା ପୂର୍ତି, ଜୈନ ମନ୍ତ୍ର ସେ ରୋଗନାଶ, ଲଘୁ ଶାନ୍ତି ମନ୍ତ୍ର, ମନୋରଥ ସିଦ୍ଧିଦାଯକ ମଂତ୍ର, ରୋଗନାଶକ ମଂତ୍ର, ରୋଗ ନିଵାରକ ମଂତ୍ରଐଶ୍ଵର୍ଯଦାଯକ ମଂତ୍ର, ମନୋଵାଂଛିତ କାର୍ଯସିଦ୍ଧି ମଂତ୍ର, ସର୍ଵକାମନା ପୂରଣ ଅର୍ହଂ ମଂତ୍ର, ଘଂଟାକର୍ଣ ମଂତ୍ର, ଲକ୍ଷ୍ମୀ ପ୍ରାପ୍ତି ଏଵଂ ମନୋକାମନାପୂର୍ଣ କରନେ କା ମଂତ୍ର,
इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


3 टिप्‍पणियां: