धनतेरस से जुडी पौराणिक कथा
Article courtesy: GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine November-2018
लेख सौजन्य: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018)
भारत में धनतेरस पर्व से संबंघित लोकप्रिय कथा प्रचलित है। पुराने जमाने में एक राजा हिम हुए। उनके यहां पुत्र हुआ, तो उसकी जन्म-कुंडली बनवाई गई। ज्योतिषियों ने कुंडली का विश्लेषण कर के कहा कि राजकुमार अपनी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से मर जाएगा। इस पर राजा चिंतित रहने लगे। राजकुमार की उम्र 16 साल की हुई, तो उसकी शादी एक सुंदर, सुशील और समझदार राजकुमारी से कर दी गई। राजकुमारी मां लक्ष्मी की परम भक्त थीं। राजकुमारी को भी अपने पति पर आने वाली विपत्ति के विषय में पता चल गया।
राजकुमारी काफी दृढ़ इच्छाशक्ति वाली थीं। उसने चौथे दिन का इंतजार पूरी तैयारी के साथ किया। जिस रास्ते से सांप के आने की आशंका थी, वहां सोने-चांदी के सिक्के और हीरे-जवाहरात आदि बिछा दिए गए। पूरे घर को रोशनी से जगमगा दिया गया। कोई भी कोना खाली नहीं छोड़ा गया अर्थात सांप के कमरे में आने के लिए कोई रास्ता अंधेरा नहीं छोड़ा गया। इतना ही नहीं, राजकुमारी ने अपने पति को जगाए रखने के लिए उसे पहले कहानी सुनाई और फिर गीत गाने लगी।
इसी दौरान जब मृत्यु के देवता यमराज ने सांप का रूप धारण करके कमरे में प्रवेश करने की कोशिश की, तो रोशनी की वजह से उनकी आंखें चुंधिया गईं। इस कारण सांप दूसरा रास्ता खोजने लगा और रेंगते हुए उस जगह पहुंच गया, जहां सोने तथा चांदी के सिक्के रखे हुए थे। डसने का मौका न मिलता देख, विषधर भी वहीं कुंडली लगाकर बैठ गया और राजकुमारी के गाने सुनने लगा। इसी बीच सूर्य देव ने दस्तक दी, यानी सुबह हो गई। यम देवता वापस जा चुके थे। इस तरह राजकुमारी ने अपनी पति को मौत के पंजे में पहुंचने से पहले ही छुड़ा लिया। यह घटना जिस दिन घटी थी, वह धनतेरस का दिन था, इसलिए इस दिन को 'यमदीपदान' भी कहते हैं।इस दिन पूरी रात घर के बाहर दीप जलाकर रखते हैं ताकि मृत्यु के देवता यमराज को घर में प्रवेश करने से रोका जा सके।
विष्णु का धनवंतरि अवतार
धनतेरस से संबंधित लोगों के बीच एक और कथा भी प्रचलित हैं। जब सुर और असुर मिलकर सागर मंथन कर रहे थे, तो कई बहुमूल्य चीजों की प्राप्ति हुई। इनमें सबसे अहम था अमृत। यह अमृत कलश धनवंतरि के हाथों में था। धनवंतरि को यूं तो देवताओं का वैद्य कहते हैं, पर उनमें भगवान विष्णु का अंश भी मौजूद था। धनतेरस के दिन धनवंतरि की उत्पत्ति होने के कारण हम धनतेरस मनाते हैं।
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
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Article courtesy: GURUTVA JYOTISH Monthly E-Magazine November-2018
लेख सौजन्य: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (नवम्बर-2018)
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