विक्रम संवत 2077 और 9 ग्रहों का मंत्री मंड़ल
संकलन गुरुत्व कार्यालय
हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से किया था, इस लिए हिन्दू संस्कृति में नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा किया जाता है।
हिन्दू परंपरा में सभी प्रकार के शुभ कार्यों या विधि-विधान का शुभारंभ का संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है। कुल संवत्सर 60 प्रकार के हैं। ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार जब 60 संवत्सर पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।
इस वर्ष हिन्दू नवसंवत्सर विक्रम संवत 2077 के नए साल की शुरुआत बुधवार के दिन हो रही है। ज्योतिष के अनुसार हर नवसंवत्सर के दौरान 9 ग्रहों के बीच बनने वाले मंत्रि-मंडल में राजा का चयन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथी के वार के अनुसार होता है, उस दिन जो वार होता है उस वार के स्वामी को संवत का राजा माना जाता है। इस वर्ष के राजा बुध होंगे और मंत्री चंद्रमा होंगे। इस लिए विक्रम संवत 2077 के पूरे वर्ष तक बुध देव का अधिपत्य रहेगा।
बुध का संबंध पर्यावरण से होने के कारण पर्यावरण के में सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयासों में वृद्धि होगी। ज्योतिष के अनुसार इस संवत के प्रभाव से कृषी के क्षेत्र में विशेष बदलाव एवं विकास देखने को मिलेगा। अनाज का उत्पादन अच्छा हो सकता है।
कुछ खाद्य पदार्थों के मूल्यों में अकस्मात रुप से वृद्धि देखने को मिलेगी। बुध एवं चंद्र के बीच में मित्रता की कमी होने से सरकार की तरफ से कुछ विशेष कड़े नियम-कानून बन सकते हैं। इससे प्रजा में कुछ समय के लिए असंतोष बढ़ सकता है।
इस संवत्सर वर्ष के राजा बुध होंगे। बुध के शुभ प्रभाव से विभिन्न शुभ एवं मांगलिक कार्यों को संपन्न करने अवसर मिलते रहेंगे। लेकिन अशुभ प्रभाव में किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा किसी कारण परेशानी हो सकती हैं। प्रियजनो के साथ विरोध रह सकता है। धन संपत्ति और सुख सुविधा की पूर्ति हेतु अत्याधिक परिश्रम करना पड़ सकता है।
विद्वानो के मत से इस दौरान कई लोगों में झूठ, छल, कपट तथा प्रपंच आदि की वृद्धि हो सकती है। नौकरी, कारोबार से जुड़े लोगों को परिश्रम के अनुरुप ही फल प्राप्त होगें।
संकलन गुरुत्व कार्यालय
हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से किया था, इस लिए हिन्दू संस्कृति में नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा किया जाता है।
हिन्दू परंपरा में सभी प्रकार के शुभ कार्यों या विधि-विधान का शुभारंभ का संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है। कुल संवत्सर 60 प्रकार के हैं। ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार जब 60 संवत्सर पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।
इस वर्ष हिन्दू नवसंवत्सर विक्रम संवत 2077 के नए साल की शुरुआत बुधवार के दिन हो रही है। ज्योतिष के अनुसार हर नवसंवत्सर के दौरान 9 ग्रहों के बीच बनने वाले मंत्रि-मंडल में राजा का चयन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथी के वार के अनुसार होता है, उस दिन जो वार होता है उस वार के स्वामी को संवत का राजा माना जाता है। इस वर्ष के राजा बुध होंगे और मंत्री चंद्रमा होंगे। इस लिए विक्रम संवत 2077 के पूरे वर्ष तक बुध देव का अधिपत्य रहेगा।
बुध का संबंध पर्यावरण से होने के कारण पर्यावरण के में सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयासों में वृद्धि होगी। ज्योतिष के अनुसार इस संवत के प्रभाव से कृषी के क्षेत्र में विशेष बदलाव एवं विकास देखने को मिलेगा। अनाज का उत्पादन अच्छा हो सकता है।
कुछ खाद्य पदार्थों के मूल्यों में अकस्मात रुप से वृद्धि देखने को मिलेगी। बुध एवं चंद्र के बीच में मित्रता की कमी होने से सरकार की तरफ से कुछ विशेष कड़े नियम-कानून बन सकते हैं। इससे प्रजा में कुछ समय के लिए असंतोष बढ़ सकता है।
इस संवत्सर वर्ष के राजा बुध होंगे। बुध के शुभ प्रभाव से विभिन्न शुभ एवं मांगलिक कार्यों को संपन्न करने अवसर मिलते रहेंगे। लेकिन अशुभ प्रभाव में किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा किसी कारण परेशानी हो सकती हैं। प्रियजनो के साथ विरोध रह सकता है। धन संपत्ति और सुख सुविधा की पूर्ति हेतु अत्याधिक परिश्रम करना पड़ सकता है।
विद्वानो के मत से इस दौरान कई लोगों में झूठ, छल, कपट तथा प्रपंच आदि की वृद्धि हो सकती है। नौकरी, कारोबार से जुड़े लोगों को परिश्रम के अनुरुप ही फल प्राप्त होगें।