सूर्य ग्रहण का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (जनवरी-2011)
सूर्य ग्रहण के प्रभावो का विस्तृत वर्णन भारतीय शास्त्रों में किया गया हैं। हजारो वर्ष पूर्व से भारत के विद्वान ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण से संबंधित गणना करने में समर्थ। भारतीय शास्त्रो के अनुशार सूर्यग्रहण के प्रभाव से मुख्य रुप से देश कि सत्ताओं में परिवर्तन कि घटनाएं होती हैं एवं देश कि सुरक्षा से संबंधित संकट होते हैं। यह घटनाएं मुख्यतः जिस स्थान से सूर्यग्रहण देखाजाए उस स्थानो पर होने कि मानयाएं हैं।
सूर्य ग्रहण से जुडी पौराणिक कथा
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार एक बार राहू ने सूर्य पर आक्रमण कर सूर्य के तेज को अन्धकारमय कर दिया था। जिस कारण से भूलोक के निवासी सूर्य के को नहीं देख पाने के कारण घबरा गयें।
इस अन्धकारमय संसार को प्रकाश मय करने के लिये देवराज इंद्र नें महर्षि अत्री कि सहायता से उनकी सिद्धियों एवं शक्तियों के प्रयोग से राहू की छाया का नाश करसूर्य को पुनः प्रकाशवान कर दिया। इस प्रकार राहू के प्रभाव से सूर्य की रक्षा की थी।
सूर्य ग्रहण के दिन सत्ता परिवर्तन
भारत के प्रमुख ग्रंथो में से एक महाभारत मे उल्लेखीत हैं कि सूर्यग्रहण के दिन कौरवों ने पांडवों के साथ जुए में उनका राजपाट जीत लिया था और पांडवों को सत्ता को अपने हाथो में ले लिया था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य राज्य एवं राजा अर्थात सत्ता चलाने वाले मंत्री एवं मुख्याओं का कारक हैं। सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य का ग्रास होने कि मान्यता हैं। इस लिये यदि किसी देश में एक वर्ष में तीन अथवा तीन से अधिक सूर्यग्रहण दिखते हैं। उस देश में सता परिवर्तन और प्राकृतिक संकटआने की संभावनाएं बढजाती हैं।
• सूर्यग्रहण के दिन महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन ने कौरवों के सेनापति (जयद्रथ) का वध किया था।
• सूर्यग्रहण के दिन कृष्ण की नगरी द्वारका समंदर में समागई थी।
• सूर्यग्रहण के दिन हि द्वारका नगरी कि दोबारा से बसाई गईथी।
सूर्य ग्रहण आध्यात्मिक महत्व
एसी मान्यता हैं कि सूर्य को अनुकूल बनाने के लिये सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का ध्यान-जप करने से सूर्य के नकारात्मक प्रभावो को कम किया जा सकता हैं। ज्योतिष शास्त्र जे अनुशार सूर्य आत्मविश्वास, पिता, ओर उर्जा का कारक ग्रह हैं। अतः ग्रहण काल में सूर्य मंत्र जाप, होम करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में एवं तेज में वृद्धि होती हैं।
सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व
सूर्य ग्रहण काल में सूतक के नियम लगने के कारण ग्रहण के बाद ही शुभ कर्म जेसे पूजा, अनुष्ठान, दान आदि कार्य करने लाभदायक होते हैं। सूतक काल की अवधि में मंत्र , जप, तप इत्यादी सिद्धि के कार्य किये जाते हैं। परंतु आजके भौतिकता वादी वैज्ञानिक युग में आधुनिकता कि दौड में अंधि दौड लगाने वाले व्यक्ति ग्रहण काल के प्रभाव को नकार देते हैं।
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