Surya Grahan kyu hota he?
सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (जनवरी-2011)
वैज्ञानिकों के अनुशार किसी खगोलीय पिण्ड का पूर्ण अथवा आंशिक रुप से किसि अन्य पिण्ड से ढक जाना या उस पिण्ड के पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता हैं। खगोलीय पिण्ड किसी अन्य पिण्ड ढक जाने पर नजर नहीं आता तो, उसे ग्रहण कहां जाता हैं।
सूर्य ग्रहण तब कहां जाता हैं, पृथ्वी और सूर्य के बीच में चन्दमा के आजा ने पर सूर्य ढंक जाता हैं, और पृथ्वी के कुछ हिस्सो पर से सूर्य का नजर नहीं आना सूर्य ग्रहन कहलाता हैं। जब सूर्य पूर्ण रुप से या आंशिक रुप से चन्द्र द्वारा ढक जाने पर सूर्य नजर नहीं आता तो, उसे सूर्य ग्रहण अथवा आंशिक सूर्य ग्रहण कहां जाता हैं।
सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते है।
पूर्ण सूर्य ग्रहण
जब चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में ले लेता हैं, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता हैं। इसके फलस्वरुप सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच नहीं पाता हैं और पृथ्वी पर अंधकार कि स्थिति हो जाती हैं। इस प्रकार बनने वाले ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहां जाता हैं।
आंशिक सूर्यग्रहण
चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया से ढंक पाता तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता हैं।
वलय सूर्यग्रहण
चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढक लेता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता हो, तो उसे वलय सूर्यग्रहण कहां जाता हैं। इस ग्रहण में सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन के समान प्रतीत होता हैं।
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