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बुधवार, जनवरी 12, 2011

14 जनवरी, मकर संक्रांति पर्व

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14 जनवरी, मकर सन्क्रान्ति पर्व


मकर संक्रान्ति और दान का महत्व:
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व हैं। विद्वानो के मत से मकर संक्रांति के दिन धार्मिक साहित्य-पुस्तक इत्यादी धर्म स्थलों में दान किये जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन तिल का दान
संक्रांति के दिन दान करने से प्राप्त होने वाले पुण्य का फल अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता हैं। इस लिये मकर संक्रांति के दिन यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल एवं गुड का दान करना शुभदायक माना गया हैं। तिल या तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान में दिये जा सकते हैं।

मकर संक्रान्ति पर स्नान
मकर संक्रांन्ति का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व माना जाता हैं। मान्यता हैं कि इस दिन सूर्य के उत्तरायाण में प्रवेश करने से देवलोक में रात्रि समाप्त होती हैं और दिन की शुरूआत होती है। देवलोक का द्वारा जो सूर्य के दक्षिणायण होने से 6 महीने तक बंद होता हैं मंकर संक्रान्ति के दिन खुल जाता हैं। इस दिन दान इत्यादी पुण्य कर्म किये जाते हैं उनका शुभ फल प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति में स्नान एवं दान का भी विशेष महात्मय शास्त्रों में बताया गया है।

भारतीय धर्म ग्रंथों में स्नान का अर्थ शुद्धता एवं सात्विकता है। अत: स्नान को किसी भी शुभ कर्म करने से पहले किया जाता है। मकर राशि में सूर्य के प्रवेश से सूर्य का सत्व एवं रज गुण बढ़ जाता है जो सूर्य की तेज किरणों से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। यह अलौकिक किरणें हमारे शरीर को ओज, बल और स्वास्थ्य प्रदान करे, अत: इन किरणों को ग्रहण करने हेतु तन-मन की शुद्धि के लिए पुण्यकाल में स्नान करने का विधान बताया गया है।

भारतीय धर्म शास्त्रो के अनुसार प्रात: सूर्योदय से कुछ घंटे पहले का समय पुण्य काल माना जाता है। पुण्य काल में स्नान करना अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक शुभ संयोगो पर जल में देवताओं एवं तीर्थों का वास होता है। इस लिये इन अवसरों में नदी अथवा सरोवर में स्नान करना शुभफलदायक होता हैं। मकर संक्रांन्ति पर सूर्योदय से पूर्व स्नान दुग्ध स्नान के समान फल देता है अत: इन अवसरों पर पूर्ण शुद्धि हेतु पुण्य काल में स्नान करने की परम्परा युगो से चली आ रही है।
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