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मंगलवार, अप्रैल 17, 2018

अक्षय तृतीया का महत्व

वैदिक संस्कृति में अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषण, जमीन, मकान वाहन आदि की खरीददारी आदि किए जा सकते हैं। इस दिन नये वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई दुकान, ऑफिस आदि व्यवसायीक कार्य स्थल का शुभारंभ श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि इस दिन किया गया दान, अक्षय फल प्रदान करता है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से तथा इष्ट पूजन से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन और दान भी अक्षय हो जाता है। 
इस दिन माता लक्ष्मी और नारायण का सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से पूजन करना चाहिये।

सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥
अर्थात: सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।

एसी पौराणिक मान्यता हैं कि अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी की चीजें खरीदी जाती हैं। अक्षय तृतीया के दिन सोना व चांदी खरीदना शुभ माना जाता है, क्योकि इस दिन सोना और आभूषण खरीदने से वर्ष भर जीवन में समृद्धि बनी रहती है। इस दिन सोने या चांदी के आभूषणों के साथ माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान हमारे धर्मग्रंथों में हैं।

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