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एकादशी व्रत कथा सन्तान प्राप्ति के उपाय
पुत्रदा एकादशी व्रत 07-अगस्त-2014 (गुरुवार)
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (अगस्त-2014)
पौराणिक कालसे ही हिंदू धर्म में एकादशी
व्रत का विशेष धार्मिक महत्व रहा है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को
पुत्रदा एकादशी अथवा पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के
दिन कामना पूर्ति के लिए व्रत-पूजन किया जाता है।
इस वर्ष पुत्रदा एकादशी 07-अगस्त-2014 गुरुवार के
दिन है,
गुरुवार को भगवान विष्णु के पूजन हेतु श्रेष्ठ माना जाता हैं और इस वर्ष
पुत्रदा एकादशी और गुरुवार का संयोग एक साथ हो रहा हैं, जो विद्वानों
के मतानुशार अति उत्तम हैं। ज्योतिष गणना के अनुशार इस वर्ष 07-अगस्त-2014 सूर्योदय के
समय कर्क लग्न होगा, लग्नेश नीच चंद्रमा की पंचम भाव में मंगल के घर में स्थिती भी संतान प्राप्ति
की इच्छा रखने वालो के लिए उत्तम मानी गई हैं। उसी के साथ ही इस दिन किया गया
धार्मिक पूजन-व्रत इत्यादि आध्यात्मिक कार्य शुभ ग्रहों के प्रभाव से शीघ्र एवं विशेष फल
प्रदान करने वाला सिद्ध होगा क्योकि उच्च का गुरु षष्ठेश एवं भाग्येश हो कर लग्न
गृह में स्थित होकर पंचम भाव (संतान गृह), सप्तम भाव (जीवन साथी) एवं नवम भाव(भाग्य भाग) को देख रहा हैं। गुरु के साथ सूर्य स्थित हैं जो आध्यात्मिक
कार्यों में वृद्धि का संकेत देता हैं। सूर्य के साथ बुध का बुधादित्य योग भी
विशेष शुभदाय माना गया हैं। पुत्र कारक ग्रह वक्री केतु के पंचम भाव पर शुभ दृष्टी
संतान प्राप्ति हेतु सहायक रहेगी। किन्तु मंगल+शनि की युति संकेत दे
रही हैं की संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को विशेष सावधानी अवश्य
रखनी,
किसी भी तरह की लापरवाही, मनमुटाव इत्यादि से विपरित परिणाम संभव हैं।
संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले
दंपत्तियों को पुत्रदा एकादशी व्रत का नियम पालन दशमी तिथि (6 अगस्त 2014, बुधवार) की रात्रि से
ही शुरु करें शुद्ध चित्त से ब्रह्मचर्य का पालन करें। गुरुवार के दिन सुबह जल्दी
उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की प्रतिमा के
सामने बैठकर व्रत का संकल्प करें। व्रत हेतु उपवास रखें अन्न ग्रहण नहीं करें, एक या दो समय
फलाहार कर सकते हैं।
तत्पश्चयात भगवान विष्णु का पूजन पूर्ण
विधि-विधान से
करें। (यदि स्वयं पूजन
करने में असमर्थ हों तो किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से भी पूजन करवा सकते हैं।) भगवान विष्णु
को शुद्ध जल से स्नान कराए। फिर पंचामृत से स्नान कराएं स्नान के बाद केवल पंचामृत
के चरणामृत को व्रती (व्रत करने वाला) अपने और परिवार के सभी सदस्यों के अंगों पर छिड़के और उस
चरणामृत को पीए। तत पश्चयात पुनः शुद्ध जल से स्नान कराकर प्रतिमाक स्वच्छ कपड़े से
पोछलें। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
विष्णु सहस्त्रनाम का जप करें एवं पुत्रदा
एकादशी व्रत की कथा सुनें। रात को भगवान विष्णु की मूर्ति के समीप शयन करें और
दूसरे दिन अर्थात द्वादशी 8- अगस्त-2014 जुलाई, शुक्रवार के दिन विद्वान ब्राह्मणों को भोजन कराकर व सप्रेम
दान-दक्षिणा
इत्यादि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इस प्रकार पवित्रा एकादशी व्रत करने से
योग्य संतान की प्राप्ति होती है।
विशेष सूचना: पुत्र प्राप्ति का तात्पर्य केवल उत्तम संतान की प्राप्ति समझे।
क्योकि, उपरोक्त वर्णित पुत्र प्राप्ति एकादशी से संबंधित सभी जानकारी शास्त्रोक्त
वर्णित हैं, अतः व्रत से
केवल पुत्र संतान की प्राप्ति हो ऐसा नहीं हैं इस व्रत से उत्तम संतान की प्राप्ति
होती हैं, चाहे वह संतान
पुत्र हो या कन्या। आज के आधुनिक युग में पुत्र संतान व कन्या संतान में कोई विशेष
फर्क नहीं रहा हैं। कन्या या महिलाएं भी पुत्र या पुरुष के समान ही सबल एवं
शक्तिशाली हैं। अतः केवल पुत्र संतान की कामना करना व्यर्थ हैं। अतः केवल उत्तम
संतान की कामना से व्रत करे। जानकार एवं विद्वानों के अनुभव के अनुशार पीछले कुछ
वर्षो में उन्हें अपने अनुशंधान से यह तथ्य मिले हैं की केवल पुत्र कामना से की गई
अधिकतर साधानाएं, व्रत-उपवास
इत्यादि उपायों से दंपत्ति को पुत्र की जगह उत्तम कन्य संतान की प्राप्ति हुवी हैं, और वह कन्या संतान पुत्र संतान से कई अधिक
बुद्धिमान एवं माता-पिता का नाम समाज में रोशन करने वाली रही हैं। संभवत इस युग
में नारीयों की कम होती जनसंख्या के कारण इश्वरने भी अपने नियम बदल लिये होंगे इस
लिए पुत्र कामना के फलस्वरुप उत्तम कन्या संतान की प्राप्ति हो रही होगी।
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष मासिक ई-पत्रिका (अगस्त-2014)
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