•अगर मन एंम आत्मा पर धूल या गंदगी का ढेर लगा है, तो स्वप्न मे झाड़ू देखना जीवन में आत्मा की सफाई करने का संकेत देता है।
•बहोत अच्छा संकेत है स्वप्न मे झाड़ू देखने का तात्पर्य है अपबे अन्दर की नकारात्मक शक्ति एवं व्यक्ति को चारों ओर घेरे अंधविश्वास का दूर होने का संकेत है।
•स्वप्न मे झाड़ू देखना संकेत है दूर्भाग्य का दूर हो कर सौभाग्य का आगमन होना या सौभाग्य का उदय होना। स्वप्न मे झाड़ू देखने वाले की बदनसीबि दूर होती है।
•फेंगशुई एवं पश्चिमी संस्कृतियों में व्यापार संरक्षण के लिए झाड़ू को दरवाजे पर य पीछे रखा जाता है।
•रोजमर्रा की व्यावहारिक जिंदगी में झाडू को गंदगी दूर कर ने के लिये इस्तेमाल किया जाता है।
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शनिवार, नवंबर 21, 2009
बुरी नजर
कई संस्कृतियों मे यह विश्वास है की व्यक्ति पर ईर्ष्या या नापसंद के कारणों से अन्य द्वारा बुरी नजर लगति है। जिसे निर्देशित है की एक बार नजर लगते ही चोट लगना, नुक्सान होना, दुर्भाग्य प्रारंभ होना, बीमार होना आदि कई सारे कारण ओर वजह बनाकर कुछ व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है कि इस व्यक्रि कि नजर लगने की वजह से एसा हो रहा है।
सदी से अधिक समय काल से इस तरह कि मानयता एवं परंपरा कई संस्कृतियों में चली आरही है।
हिन्दु संस्कृति
हिन्दु संस्कृति मे बुरी नज़र ज्यादा तर क्षेतो मे "द्रष्टि दोष" या "नज़र"(दृष्टि अभिशाप) "आरती". के माध्यम से निकाल दि जाती है। वास्तविकता मे नज़र हटने मे अलग-अलग अर्थ शामिल है। मानव के द्वारा लगी बुरी नज़र हटाने के लिये पवित्र अग्नि लौ के माध्यम से पारंपरिक हिंदू मान्यता से जिसमें व्यक्ति के चेहरे के चारों ओर थाली से एक परिपत्र गति में अग्नि लौ "आरती". करते है ताकि बुरे प्रभाव को नष्ट होजाए। नये खरिदे गये वाहन के पहियो के निचे नींबू कूचल जत है ताकि उस्के उपर से सारी परेशानी एवं बुरे प्रभाव नष्ट होजाये ओर बुरी नज़र का प्रभाव दुकान मकन ओर वाहनों को भी होत है, इस लिये लोग नींबू मिर्च लगते है ताकि बुरे प्रभव से बचा जाये। नव विवाहित कन्या या छोटे बच्चों को "बुरी नज़र को रोकने के लिये काजल (कुमकुम) का टिका लगाने कि प्रथा चलि आरही है, क्योकि कम उम्र के बच्चोको अच्छि ओर बुरि दोनो तर्ह कि नजर लगती है कभी मिठि नजर भी लगजाती है और कभी बुरी।
सदी से अधिक समय काल से इस तरह कि मानयता एवं परंपरा कई संस्कृतियों में चली आरही है।
हिन्दु संस्कृति
हिन्दु संस्कृति मे बुरी नज़र ज्यादा तर क्षेतो मे "द्रष्टि दोष" या "नज़र"(दृष्टि अभिशाप) "आरती". के माध्यम से निकाल दि जाती है। वास्तविकता मे नज़र हटने मे अलग-अलग अर्थ शामिल है। मानव के द्वारा लगी बुरी नज़र हटाने के लिये पवित्र अग्नि लौ के माध्यम से पारंपरिक हिंदू मान्यता से जिसमें व्यक्ति के चेहरे के चारों ओर थाली से एक परिपत्र गति में अग्नि लौ "आरती". करते है ताकि बुरे प्रभाव को नष्ट होजाए। नये खरिदे गये वाहन के पहियो के निचे नींबू कूचल जत है ताकि उस्के उपर से सारी परेशानी एवं बुरे प्रभाव नष्ट होजाये ओर बुरी नज़र का प्रभाव दुकान मकन ओर वाहनों को भी होत है, इस लिये लोग नींबू मिर्च लगते है ताकि बुरे प्रभव से बचा जाये। नव विवाहित कन्या या छोटे बच्चों को "बुरी नज़र को रोकने के लिये काजल (कुमकुम) का टिका लगाने कि प्रथा चलि आरही है, क्योकि कम उम्र के बच्चोको अच्छि ओर बुरि दोनो तर्ह कि नजर लगती है कभी मिठि नजर भी लगजाती है और कभी बुरी।
शुक्रवार, नवंबर 20, 2009
किसे धारण करना चहिये
सूर्य रत्न माणिक्य किसे धारण करना चहिये इस विषय मे बहोत सारे तर्क वितर्क अभि तक चल रहे है। कुछ ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ मे विरोधाभाष है क्योकि सब कि अपनी-अपनी सोच ओर अपना-अपना नजरिया है।
उदाहरण के लिये:-
कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करने कि सलाह देते है। तो कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने कि सलाह देते है।
यदि जन्म कुन्डलि मे सूर्य शुभ भावो का अधिपति होतो उसका रत्न माणिक्य धारण करना शुभ फल देता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न होतो वह सूर्य रत्न माणिक्य धारण कर सकता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे सूर्य ३,६,११ वे भाव मे होतो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करना चाहिये।
यदि सूर्य लग्न, पंचम, सप्तम मे या नवम स्थान मे होतो उस स्थान का प्रभाव को बढाने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
जिस व्यक्ति का जन्म २१ जून से २२ जुलाइ के मध्य होउस के लिए माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
जिस व्यक्ति का जन्म दिनांक १,१०,१९,२८ हो उसे माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
व्यक्ति सूर्य से संबंधित रोग से ग्रस्त हो उसे सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने से शुभ फल मिलते देखागया है।
माणिक्य विभिन्न भाषाओ मे निम्न लिखित नामो से जाना जात है।
हिन्दी मे :- चुन्नि, माणिक्य, लाल मणि,
सस्कृत मे :- पद्मराग मणि, माणिक्यम, सोणमल, कुरविंद, वसुरत्न, सोगोधक, स्त्रोण्रत्न, रत्ननायक, लक्ष्मी पुष्प,
फ़ारसी मे :- याकूत,
अरबी मे :- लाल बदपशकनि
लेटिन मे :- रुबी, नर्स,
उदाहरण के लिये:-
कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करने कि सलाह देते है। तो कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने कि सलाह देते है।
यदि जन्म कुन्डलि मे सूर्य शुभ भावो का अधिपति होतो उसका रत्न माणिक्य धारण करना शुभ फल देता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न होतो वह सूर्य रत्न माणिक्य धारण कर सकता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे सूर्य ३,६,११ वे भाव मे होतो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करना चाहिये।
यदि सूर्य लग्न, पंचम, सप्तम मे या नवम स्थान मे होतो उस स्थान का प्रभाव को बढाने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
जिस व्यक्ति का जन्म २१ जून से २२ जुलाइ के मध्य होउस के लिए माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
जिस व्यक्ति का जन्म दिनांक १,१०,१९,२८ हो उसे माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
व्यक्ति सूर्य से संबंधित रोग से ग्रस्त हो उसे सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने से शुभ फल मिलते देखागया है।
माणिक्य विभिन्न भाषाओ मे निम्न लिखित नामो से जाना जात है।
हिन्दी मे :- चुन्नि, माणिक्य, लाल मणि,
सस्कृत मे :- पद्मराग मणि, माणिक्यम, सोणमल, कुरविंद, वसुरत्न, सोगोधक, स्त्रोण्रत्न, रत्ननायक, लक्ष्मी पुष्प,
फ़ारसी मे :- याकूत,
अरबी मे :- लाल बदपशकनि
लेटिन मे :- रुबी, नर्स,
शुक्रवार, नवंबर 06, 2009
बटुक भैरव
सर्वारिष्ट निवार मंत्र
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा"
व्यापार वृद्धि मंत्र
"ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारण बटुकाय ह्रीं नमः"
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा"
व्यापार वृद्धि मंत्र
"ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारण बटुकाय ह्रीं नमः"
गायत्री मंत्र
Gayatri Mantra
ओम भूर्भवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं।
भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात॥
भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी,
पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण
करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
गायत्री मंत्र का अर्थ विस्तृत शब्दो में
ओम - है सर्वशक्तिमान परमेश्वर
भूर - आध्यात्मिक ऊर्जा का अवतार
भव - दुख की विनाशक
स्वह - खुशी के अवतार
तत् - जो (भगवान का संकेत)
सवितुर - उज्ज्वल, चमकीले, सूर्य की तरह
र्वरेण्यं - उत्तम
भर्गो - पापों का नाशक
देवस्य - परमात्मा
धीमहि - मुजे प्राप्ति हो
धियो - एसि बुद्धि
यो - जो
नह - हमे
प्रचोदयात - प्रेरणा दे
गायत्री मंत्र का परिचय
गायत्री मंत्र को "गुरु मंत्र" के रुप मे जाना जाता है। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों में सर्वोच्च है और सबसे प्रबल शक्तिशाली मंत्र भी है. ओम भूर्भवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं।
भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात॥
भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी,
पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण
करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
गायत्री मंत्र का अर्थ विस्तृत शब्दो में
ओम - है सर्वशक्तिमान परमेश्वर
भूर - आध्यात्मिक ऊर्जा का अवतार
भव - दुख की विनाशक
स्वह - खुशी के अवतार
तत् - जो (भगवान का संकेत)
सवितुर - उज्ज्वल, चमकीले, सूर्य की तरह
र्वरेण्यं - उत्तम
भर्गो - पापों का नाशक
देवस्य - परमात्मा
धीमहि - मुजे प्राप्ति हो
धियो - एसि बुद्धि
यो - जो
नह - हमे
प्रचोदयात - प्रेरणा दे
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