कई संस्कृतियों मे यह विश्वास है की व्यक्ति पर ईर्ष्या या नापसंद के कारणों से अन्य द्वारा बुरी नजर लगति है। जिसे निर्देशित है की एक बार नजर लगते ही चोट लगना, नुक्सान होना, दुर्भाग्य प्रारंभ होना, बीमार होना आदि कई सारे कारण ओर वजह बनाकर कुछ व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है कि इस व्यक्रि कि नजर लगने की वजह से एसा हो रहा है।
सदी से अधिक समय काल से इस तरह कि मानयता एवं परंपरा कई संस्कृतियों में चली आरही है।
हिन्दु संस्कृति
हिन्दु संस्कृति मे बुरी नज़र ज्यादा तर क्षेतो मे "द्रष्टि दोष" या "नज़र"(दृष्टि अभिशाप) "आरती". के माध्यम से निकाल दि जाती है। वास्तविकता मे नज़र हटने मे अलग-अलग अर्थ शामिल है। मानव के द्वारा लगी बुरी नज़र हटाने के लिये पवित्र अग्नि लौ के माध्यम से पारंपरिक हिंदू मान्यता से जिसमें व्यक्ति के चेहरे के चारों ओर थाली से एक परिपत्र गति में अग्नि लौ "आरती". करते है ताकि बुरे प्रभाव को नष्ट होजाए। नये खरिदे गये वाहन के पहियो के निचे नींबू कूचल जत है ताकि उस्के उपर से सारी परेशानी एवं बुरे प्रभाव नष्ट होजाये ओर बुरी नज़र का प्रभाव दुकान मकन ओर वाहनों को भी होत है, इस लिये लोग नींबू मिर्च लगते है ताकि बुरे प्रभव से बचा जाये। नव विवाहित कन्या या छोटे बच्चों को "बुरी नज़र को रोकने के लिये काजल (कुमकुम) का टिका लगाने कि प्रथा चलि आरही है, क्योकि कम उम्र के बच्चोको अच्छि ओर बुरि दोनो तर्ह कि नजर लगती है कभी मिठि नजर भी लगजाती है और कभी बुरी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें