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शुक्रवार, नवंबर 06, 2009

गायत्री मंत्र

Gayatri Mantra
गायत्री मंत्र का परिचय
गायत्री मंत्र को "गुरु मंत्र" के रुप मे जाना जाता है। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों में सर्वोच्च है और सबसे प्रबल शक्तिशाली मंत्र भी है.

ओम भूर्भवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं।
भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात॥

भावार्थ: उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी,

पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण
करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।

गायत्री मंत्र का अर्थ विस्तृत शब्दो में

ओम          - है सर्वशक्तिमान परमेश्वर

भूर             - आध्यात्मिक ऊर्जा का अवतार

भव             - दुख की विनाशक

स्वह            - खुशी के अवतार

तत्              - जो (भगवान का संकेत)

सवितुर        - उज्ज्वल, चमकीले, सूर्य की तरह

र्वरेण्यं           - उत्तम

भर्गो              - पापों का नाशक

देवस्य           - परमात्मा

धीमहि           - मुजे प्राप्ति हो

धियो              - एसि बुद्धि

यो                   - जो

नह                  - हमे

प्रचोदयात        - प्रेरणा दे
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