सूर्य रत्न माणिक्य किसे धारण करना चहिये इस विषय मे बहोत सारे तर्क वितर्क अभि तक चल रहे है। कुछ ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ मे विरोधाभाष है क्योकि सब कि अपनी-अपनी सोच ओर अपना-अपना नजरिया है।
उदाहरण के लिये:-
कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करने कि सलाह देते है। तो कुछ ज्योतिष अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने कि सलाह देते है।
यदि जन्म कुन्डलि मे सूर्य शुभ भावो का अधिपति होतो उसका रत्न माणिक्य धारण करना शुभ फल देता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन लग्न होतो वह सूर्य रत्न माणिक्य धारण कर सकता है।
जिस व्यक्ति कि कुन्डलि मे सूर्य ३,६,११ वे भाव मे होतो सूर्य रत्न माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
अष्टम स्थान मे सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो तो सूर्य रत्न माणिक्य नहीं धारण करना चाहिये।
यदि सूर्य लग्न, पंचम, सप्तम मे या नवम स्थान मे होतो उस स्थान का प्रभाव को बढाने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ देखा गया है।
जिस व्यक्ति का जन्म २१ जून से २२ जुलाइ के मध्य होउस के लिए माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
जिस व्यक्ति का जन्म दिनांक १,१०,१९,२८ हो उसे माणिक्य धारण करना शुभ होता है।
व्यक्ति सूर्य से संबंधित रोग से ग्रस्त हो उसे सूर्य रत्न माणिक्य धारण करने से शुभ फल मिलते देखागया है।
माणिक्य विभिन्न भाषाओ मे निम्न लिखित नामो से जाना जात है।
हिन्दी मे :- चुन्नि, माणिक्य, लाल मणि,
सस्कृत मे :- पद्मराग मणि, माणिक्यम, सोणमल, कुरविंद, वसुरत्न, सोगोधक, स्त्रोण्रत्न, रत्ननायक, लक्ष्मी पुष्प,
फ़ारसी मे :- याकूत,
अरबी मे :- लाल बदपशकनि
लेटिन मे :- रुबी, नर्स,
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