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गणेश पूजन हेतु शुभ मुहूर्त
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (सितम्बर-2011)
वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार ब्रह्मांड में समय व अनंत आकाश के अतिरिक्त समस्त वस्तुएं मर्यादा युक्त हैं। जिस प्रकार समय का न ही कोई प्रारंभ है न ही कोई अंत है। अनंत आकाश की भी समय की तरह कोई मर्यादा नहीं है। इसका कहीं भी प्रारंभ या अंत नहींहोता। आधुनिक मानव ने इन दोनों तत्वों को हमेशा समझने का व अपने अनुसार इनमें भ्रमण करने का प्रयास किया हैं परन्तु उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई है।
सामान्यतः मुहूर्त का अर्थ है किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे शुभ समय व तिथि चयन करना। कार्य पूर्णतः फलदायक हो इसके लि, समस्त ग्रहों व अन्य ज्योतिष तत्वों का तेज इस प्रकार केन्द्रित किया जाता है कि वे दुष्प्रभावों को विफल कर देते हैं। वे मनुष्य की जन्म कुण्डली की समस्त बाधाओं को हटाने में व दुर्योगो को दबाने या घटाने में सहायक होते हैं।
शुभ मुहूर्त ग्रहो का ऎसा अनूठा संगम है कि वह कार्य करने वाले व्यक्ति को पूर्णतः सफलता की ओर अग्रस्त कर देता है।
हिन्दू धर्म में शुभ कार्य केवल शुभ मुहूर्त देखकर किए जाने का विधान हैं। इसी विधान के अनुसार श्रीगणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश की स्थापना के श्रेष्ठ मुहूर्त आपकी अनुकूलता हेतु दर्शाने का प्रयास किया जा रहा हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार शुभ मुहूर्त देखकर किए गए कार्य निश्चित शुभ व सफलता देने वाले होते हैं।
श्रीगणेश चतुर्थी के लिये (1 सितंबर 2011 गुरुवार)
प्रातः 6:20 से 7:50 तक शुभ
मध्याह्नः 12:20 से 1:30 तक लाभ
संध्याः 4:50 से 6:20 तक शुभ
अन्य शुभ समय
मध्याह्नः 12:20 से 1:30 तक लाभ
संध्याः 4:50 से 6:20 तक शुभ
अन्य शुभ समय
वृश्चिक लग्न में (दोपहर 11:44 से दोपहर 1:30 तक ) तथा कुंभ लग्न में (संध्या 5:52 से संध्या 7: 03 तक) भगवान श्रीगणेश प्रतिमा की स्थापना की जा सकती हैं।
क्योंकि ज्योतिष के अनुशार वृश्चिक और कुंभ दोनों स्थिर लग्न हैं। स्थिर लग्न में किया गया कोई भी शुभ कार्य स्थाई होता हैं।
विद्वानो के मतानुशार शुभ प्रारंभ यानि आधा कार्य स्वतः पूर्ण।
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