हरि शयनी एकादशी व्रत, देव शयनी एकादशी व्रत
आषाढ़ मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को शयनी एकादशी (हरि शयनी एकादशी, देव शयनी एकादशी) भी कहा जाता हैं।
शयनी एकादशी व्रत को शास्त्रों में पुण्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली होती हैं। शयनी एकादशी का व्रत उत्तम फल प्रदान करने वाला होता हैं ।
जो व्यक्ति आषाढ़ शुक्लपक्ष कि‘शयनी एकादशी’ के दिन भगवान विष्णु का पूर्ण भक्ति-भाव से पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत करता हैं, उस व्यक्ति को तीनों लोकों और तीनों ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो देवताओं का पूजन करने के बराबर फल प्राप्त होता हैं।
जो व्यक्ति सर्व प्रकार के भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाली सर्व पापहरने वाली एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह व्यक्ति सबसे नीम्न दर्जेके कर्म करने वाला होने पर भी विष्णु कि कृपा प्राप्ति हे उसे संसार के समस्त भौतिक सुखो कि प्राप्ति स्वतः होने लगती हैं।
व्रत विधान में दीपदान कर के पलाश के पत्तो पर भोजन और व्रत करते हुए संपूर्ण चातुरमास व्यतीत करना चाहिये एसा करने से श्री विष्णु कि विशेष कृपा प्राप्त होती हैं।
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