श्री नवकार मंत्र (नमस्कार महामंत्र)
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अगस्त-2011)
नवकार मंत्र समस्त जैन धर्मावलंबियो का मुख्य मंत्र है।
नमो अरिहंताणं
नमो सिद्धाणं
नमो आयरियाणं
नमो उवज्झायाणं
नमो लोएसव्वसाहूणं
एसो पंच नमुक्कारो
सव्व पावप्पणासणो
मंगलाणं च सव्वेसिं
पढमं हवई मंगलं
अर्थ:
मैं अरिहंत भगवंतों को नमन करता हूं।
मैं सिद्ध भगवंतों को नमन करता हूं।
मैं आचार्य भगवंतों को नमन करता हूं।
मैं उपाध्याय भगवंतों को नमन करता हूं।
मैं लोक में रहे हुए सभी साधु भगवंतों को नमन करता हूं।
इन पांचों को किया हुआ नमस्कार
सभी पापों को नष्ट करता हैं।
एवं सभी मंगलों में भी
प्रथम (श्रेष्ठ) मंगल हैं।
जैन मुनियों के मत से नवकार महामंत्र जैन धर्म का सिद्ध एवं अत्यंत प्रभावशाली मंत्र हैं। इस मंत्र में समस्त रिद्धियाँ और सिद्धियाँ विद्यमान हैं। हर जैन धर्म के अनुयायी नवकार मंत्र का जप करता हैं।
नवकार महामंत्र अथवा नमस्कार महामंत्र में जिस परमेष्ठी भगवन्तों की आराधना की जाती है उन भगवन्तों में तप, त्याग, संयम, वैराग्य इत्यादि सात्विक गुण होते हैं। नवकार मंत्र के माध्यम से अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु, इन पाँच भगवंतों को परम इष्ट माना हैं। इसलिये इनको नमन करने की विधि को नवकार महामंत्र अथवा नमस्कार महामंत्र कहा जाता है। वैसे तो हर मंत्र अपने आप में रहस्य लिये होता है, परंतु नवकार महामंत्र तो परम रहस्यमय हैं।
नवकार महामंत्र के अति दिव्य प्रताप से साधक के समस्त दुःख सुख में बदल जाता हैं।
जैन विद्वानो के मत से नवकार मंत्र के स्मरण, चिन्तन, मनन और उच्चारण से ही मनुष्य के जन्म-जन्मांतरों के पापों से मुक्त हो कर उसे शाश्वत सुख प्राप्त होता हैं।
नवकार मंत्र जप के लाभ
- जब कोई व्यक्ति श्रद्धा पूर्ण भाव से नवकार मंत्र का केवल एक अक्षर उच्चरण करता हैं, तो उसके 7 सागरोपम जितने पापो का नाश होता हैं।
- जब कोई व्यक्ति "नमो अरिहंताणं" का उच्चरण करत्ता हैं, तो ……………..>>
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका अगस्त-2011 का अंक पढें।
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