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रविवार, अगस्त 21, 2011

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

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॥श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र ॥
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं, स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं, अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं, विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं, महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णावारणम्॥२॥

कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं, व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया, युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥३॥
सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं, दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं, समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥४॥

भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं, यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम्।
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं, दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम्॥५॥
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं, सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम्।
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं, नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम्॥६॥

समस्तगोपनन्दनं हृदम्बुजैकमोदनं, नमामि कुंजमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम्।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं, रसालवेणुगायकं नमामि कुंजनायकम्॥७॥
विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं, नमामि कुंजकानने प्रव्रद्धवन्हिपायिनम्।
किशोरकान्तिरंजितं दृअगंजनं सुशोभितं, गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम्॥८॥

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा, मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान, भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥९॥


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3 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुंदर । पोस्ट के लिए धन्यवाद

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  2. भगवान श्रीकृष्ण मंत्र, जिनका प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति उन्हें खुश कर सकता है, लेकिन कुछ खास मन्त्रों का अपना अलग महत्व है।

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