कृष्ण के मुख में ब्रह्मांड दर्शन
एक बार बलराम सहित ग्वाल बाल खेल रहें थे खेलते-खेलते यशोदा के पास पहुँचे और यशोदाजी से कहा माँ! कृष्ण ने आज मिट्टी खाई हैं। यशोदा ने कृष्ण के हाथों को पकड़ लिया और धमकाने लगी कि तुमने मिट्टी क्यों खाई! यशोदा को यह भय था कि कहीं मिट्टी खाने से कृष्ण कोई रोग न लग जाए। माँ कि डांट से कृष्ण तो इतने भयभीत हो गए थे कि वे माँ की ओर आँख भी नहीं उठा पा रहे थे।
तब यशोदा ने कहा तूने एकान्त में मिट्टी क्यों खाई! मिट्टी खाते हुए तुजे बलराम सहित और भी ग्वाल ने देखा हैं। कृष्ण ने कहा- मिट्टी मैंने नहीं खाई हैं। ये सभी लोग झुठ बोल रहे हैं। यदि आपको लगता हैं मैंने मिट्टी खाई हैं, तो स्वयं मेरा मुख देख ले। माँ ने कहा यदि ऐसा है तो तू अपना मुख खोल। लीला करने के लिए बाल कृष्ण ने अपना मुख माँ के समक्ष खोल दिया। यशोदा ने जब मुख के अंदर देखते हि उसमें संपूर्ण विश्व दिखाई पड़ने लगा। अंतरिक्ष, दिशाएँ, द्वीप, पर्वत, समुद्र,
पृथ्वी,वायु, विद्युत, तारा सहित स्वर्गलोक, जल, अग्नि, वायु, आकाश इत्यादि विचित्र संपूर्ण विश्व एक ही काल में दिख पड़ा। इतना ही नहीं, यशोदा ने उनके मुख में ब्रज के साथ स्वयं अपने आपको भी देखा।
इन बातों से यशोदा को तरह-तरह के तर्क-वितर्क होने लगे। क्या मैं स्वप्न देख रही हूँ! या देवताओं की कोई माया हैं या मेरी बुद्धि ही व्यामोह हैं या इस मेरे कृष्ण का ही कोई स्वाभाविक प्रभावपूर्ण चमत्कार हैं। अन्त में उन्होंने यही दृढ़ निश्चय किया कि अवश्य ही इसी का चमत्कार है और निश्चय ही ईश्वर इसके रूप में अवतरित हुएं हैं। तब उन्होंने कृष्ण की स्तुति की उस शक्ति स्वरुप परब्रह्म को मैं नमस्कार करती हूँ।
कृष्ण ने जब देखा कि माता यशोदा ने मेरा तत्व पूर्णतः समझ लिया हैं तब उन्होंने तुरंत पुत्र स्नेहमयी अपनी शक्ति रूप माया बिखेर दी जिससे यशोदा क्षण में ही सबकुछ भूल गई। उन्होंने कृष्ण को उठाकर अपनी गोद में उठा लिया।
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