महामृत्युंजय मंत्र के शीघ्र प्रभावि उपाय, महामृत्युंजय पूजन विधान, महामृत्युन्जय कवच, मन्त्र, मंत्र, यन्त्र, यंत्र, अकाल असाध्य रोगों अकाल मृत्यु से मुक्ति हेतु महामृत्युन्जय पूजन विधि, संपूर्ण महा मृत्युंजय जप विधि,મહામૃત્યુંજય મંત્ર કે શીઘ્ર પ્રભાવિ ઉપાય, મહામૃત્યુંજય પૂજન વિધાન, મહામૃત્યુન્જય કવચ, મન્ત્ર, મંત્ર, યન્ત્ર, યંત્ર, અકાલ અસાધ્ય રોગોં અકાલ મૃત્યુ સે મુક્તિ હેતુ મહામૃત્યુન્જય પૂજન વિધિ, સંપૂર્ણ મહા મૃત્યુંજય જપ વિધિ, ಮಹಾಮೃತ್ಯುಂಜಯ ಮಂತ್ರ ಕೇ ಶೀಘ್ರ ಪ್ರಭಾವಿ ಉಪಾಯ, ಮಹಾಮೃತ್ಯುಂಜಯ ಪೂಜನ ವಿಧಾನ, ಮಹಾಮೃತ್ಯುನ್ಜಯ ಕವಚ, ಮನ್ತ್ರ, ಮಂತ್ರ, ಯನ್ತ್ರ, ಯಂತ್ರ, ಅಕಾಲ ಅಸಾಧ್ಯ ರೋಗೋಂ ಅಕಾಲ ಮೃತ್ಯು ಸೇ ಮುಕ್ತಿ ಹೇತು ಮಹಾಮೃತ್ಯುನ್ಜಯ ಪೂಜನ ವಿಧಿ, ಸಂಪೂರ್ಣ ಮಹಾ ಮೃತ್ಯುಂಜಯ ಜಪ ವಿಧಿ, மஹாம்ருத்யும்ஜய மம்த்ர கே ஶீக்ர ப்ரபாவி உபாய, மஹாம்ருத்யும்ஜய பூஜந விதாந, மஹாம்ருத்யுந்ஜய கவச, மந்த்ர, மம்த்ர, யந்த்ர, யம்த்ர, அகால அஸாத்ய ரோகோம் அகால ம்ருத்யு ஸே முக்தி ஹேது மஹாம்ருத்யுந்ஜய பூஜந விதி, ஸம்பூர்ண மஹா ம்ருத்யும்ஜய ஜப விதி, మహామృత్యుంజయ మంత్ర కే శీఘ్ర ప్రభావి ఉపాయ, మహామృత్యుంజయ పూజన విధాన, మహామృత్యున్జయ కవచ, మన్త్ర, మంత్ర, యన్త్ర, యంత్ర, అకాల అసాధ్య రోగోం అకాల మృత్యు సే ముక్తి హేతు మహామృత్యున్జయ పూజన విధి, సంపూర్ణ మహా మృత్యుంజయ జప విధి, മഹാമൃത്യുംജയ മംത്ര കേ ശീഘ്ര പ്രഭാവി ഉപായ, മഹാമൃത്യുംജയ പൂജന വിധാന, മഹാമൃത്യുന്ജയ കവച, മന്ത്ര, മംത്ര, യന്ത്ര, യംത്ര, അകാല അസാധ്യ രോഗോം അകാല മൃത്യു സേ മുക്തി ഹേതു മഹാമൃത്യുന്ജയ പൂജന വിധി, സംപൂര്ണ മഹാ മൃത്യുംജയ ജപ വിധി, ਮਹਾਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁਂਜਯ ਮਂਤ੍ਰ ਕੇ ਸ਼ੀਘ੍ਰ ਪ੍ਰਭਾਵਿ ਉਪਾਯ, ਮਹਾਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁਂਜਯ ਪੂਜਨ ਵਿਧਾਨ, ਮਹਾਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁਨ੍ਜਯ ਕਵਚ, ਮਨ੍ਤ੍ਰ, ਮਂਤ੍ਰ, ਯਨ੍ਤ੍ਰ, ਯਂਤ੍ਰ, ਅਕਾਲ ਅਸਾਧ੍ਯ ਰੋਗੋਂ ਅਕਾਲ ਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁ ਸੇ ਮੁਕ੍ਤਿ ਹੇਤੁ ਮਹਾਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁਨ੍ਜਯ ਪੂਜਨ ਵਿਧਿ, ਸਂਪੂਰ੍ਣ ਮਹਾ ਮ੍ਰੁਤ੍ਯੁਂਜਯ ਜਪ ਵਿਧਿ, মহামৃত্যুংজয মংত্র কে শীঘ্র প্রভাৱি উপায, মহামৃত্যুংজয পূজন ৱিধান, মহামৃত্যুন্জয কৱচ, মন্ত্র, মংত্র, যন্ত্র, যংত্র, অকাল অসাধ্য রোগোং অকাল মৃত্যু সে মুক্তি হেতু মহামৃত্যুন্জয পূজন ৱিধি, সংপূর্ণ মহা মৃত্যুংজয জপ ৱিধি, ମହାମୃତ୍ଯୁଂଜଯ ମଂତ୍ର କେ ଶୀଘ୍ର ପ୍ରଭାବି ଉପାଯ, ମହାମୃତ୍ଯୁଂଜଯ ପୂଜନ ବିଧାନ, ମହାମୃତ୍ଯୁନ୍ଜଯ କବଚ, ମନ୍ତ୍ର, ମଂତ୍ର, ଯନ୍ତ୍ର, ଯଂତ୍ର, ଅକାଲ ଅସାଧ୍ଯ ରୋଗୋଂ ଅକାଲ ମୃତ୍ଯୁ ସେ ମୁକ୍ତି ହେତୁ ମହାମୃତ୍ଯୁନ୍ଜଯ ପୂଜନ ବିଧି, ସଂପୂର୍ଣ ମହା ମୃତ୍ଯୁଂଜଯ ଜପ ବିଧି, ଯନ୍ତ୍ର, ମନ୍ତ୍ର, ତନ୍ତ୍ର, mahamrutyunjay mantra ke Shigra prabhavi upay, mmahamrutyunjay mantra, mantra, yantra, akal asadhya roga evm akal mrutyu se mukti hetu mmahamrutyunjay mantra jaap, jap, mmahamrutyunjay mantra poojan vidhi, mmahamrutyunjay mantra pujan vidhan, mmahamrutyunjay mantra mantra jap vidhi-vidhan maha mrutyunjay roga, maha mrutyunjay svasthya, maha mrutyunjay va rogake samaya kA gnna, maha mrutyunjay prabhava aura roga, roga ke prabhava ka maha mrutyunjay se nivaaran,maha mrutyunjay roga Shanti ke upaya, maha mrutyunjay roga Shanti, maha mrutyunjay roga nivarana, Healing maha mrutyunjay, maha mrutyunjay prevention, maha mrutyunjay disease, maha mrutyunjay disease, maha mrutyunjay and Arogce time, knowledge of planetary effects on the body part and disease, maha mrutyunjay while the impact of disease, maha mrutyunjay and disease of peace Measures, disease, maha mrutyunjay peace, maha mrutyunjay disease preventio
॥ इति महामृत्युंजय जपविधिः ॥
विद्वानो के अनुशार महामृत्युंजय मंत्र के जप और उपासना साधक को अपनी आवश्यकता के अनुरूप करने से विशेष लाभप्रद होते हैं। आवश्यक्ता के अनुशार जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता हैं। मंत्र के अक्षरों में संख्या के कारण मंत्रों में विविधता हो जाती हैं।
मंत्र निम्न प्रकार से है-
एकाक्षरी (1) मंत्र- 'हौं' ।
त्र्यक्षरी(3) मंत्र- 'ॐ जूं सः'।
चतुराक्षरी(4) मंत्र- 'ॐ वं जूं सः'।
नवाक्षरी(9) मंत्र- 'ॐ जूं सः पालय पालय'।
दशाक्षरी(10) मंत्र- 'ॐ जूं सः मां पालय पालय'।
(दशाक्षरी मंत्र का जप स्वयं के लिए उक्त क्रम में करें। यदि किसी अन्य व्यक्ति के लिए दशाक्षरी मंत्र का जप किया जा रहा हो तो 'मां' के स्थान पर उस व्यक्ति का नाम लेना चाहिए)
वेदोक्त मंत्र-
महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र निम्न लिखित हैं।
महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र निम्न लिखित हैं।
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और महामृत्युंजय मंत्र में ॐ लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं।
इसे 'त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं।
श्री वशिष्ठजी ने 33 अक्षर के 33 देवता अर्थात् शक्तियाँ निश्चित की हैं जो निम्नलिखित हैं।
महामृत्युंजय मंत्र में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 वषट को माना हैं।
महामृत्युंजय मंत्र में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 वषट को माना हैं।
मंत्र विचार :महामृत्युंजय मंत्र के प्रत्येक शब्द को स्पष्ट करना अति आवश्यक हैं। क्योंकि शब्द से ही मंत्र है और मंत्र से ही शक्ति हैं।
महामृत्युंजय मंत्र में प्रयोग किए गए प्रत्येक शब्द अपने आप में एक संपूर्ण अर्थ लिए हुए होता हैं और इसी में देवादि का बोध कराता है।
शब्द बोधक
उक्त बोधक को देवताओं के नाम माने जाते हैं।
शब्द की शक्ति-
महामृत्युंजय मंत्र में प्रयोग हुए शब्द की शक्ति निम्न प्रकार से मानी गई हैं।
शब्द शक्ति
शब्द की शक्ति-
महामृत्युंजय मंत्र में प्रयोग हुए शब्द की शक्ति निम्न प्रकार से मानी गई हैं।
शब्द शक्ति
'त्र' त्र्यम्बक, त्रि-शक्ति तथा त्रिनेत्र
'तात' चरणों में स्पर्श
महामृत्युंजय मंत्र के शब्दो का यह पूर्ण विवरण 'देवो भूत्वा देवं यजेत' के अनुसार पूर्णतः सत्य प्रमाणित मानेगये हैं।
महामृत्युंजय के अलग-अलग मंत्र का उल्लेख मिलता हैं।
महामृत्युंजय के अलग-अलग मंत्र का उल्लेख मिलता हैं।
साधक अपनी आवश्यक्ता/सुविधा के अनुसार चाहें जो भी मंत्र चुन लें और उस मंत्र का नित्य पाठ कर सकते हैं या अपनी आवश्यकता के अनुशार उचित समय प्रयोग कर सकते हैं।
मंत्र निम्नलिखित हैं-
तांत्रिक बीजोक्त मंत्र:
तांत्रिक बीजोक्त मंत्र:
ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ॥
संजीवनी मंत्र:
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ॥
संजीवनी मंत्र:
ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ।
महामृत्युंजय का प्रभावशाली मंत्र:……….. ……………..>>
महामृत्युंजय का प्रभावशाली मंत्र:……….. ……………..>>
महामृत्युंजय मंत्र जाप में सावधानियाँ
महामृत्युंजय मंत्र का जप करना मनुष्य के लिये परम फलदायी और कल्याणकारी माना गया हैं।
लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का जप कुछ सावधानियाँ रख कर करना चाहिए। जिससे मंत्र का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहें।
इस लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. साधक को महामृत्युंजय मंत्र का जो भी मंत्र जपना हो उसका उच्चारण पूर्ण शुद्धता से करें।
2. मंत्र जप एक निश्चित संख्या में करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम संख्या में मंत्रों का जप नहीं करना चाहिए। यदि चाहें तो अधिक संख्या में जप सकते हैं।
3. विशेष प्रयोजन के किए जा रहे मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।
4. जप काल में धूप और दीप ……………..>>
2. मंत्र जप एक निश्चित संख्या में करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम संख्या में मंत्रों का जप नहीं करना चाहिए। यदि चाहें तो अधिक संख्या में जप सकते हैं।
3. विशेष प्रयोजन के किए जा रहे मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।
4. जप काल में धूप और दीप ……………..>>
कब करें महामृत्युंजय मंत्र जाप?
· शास्त्रोक्त विधान के अनुशार महामृत्युंजय मंत्र जप से अकाल मृत्यु तो टलने के उपरांत आरोग्यता की भी प्राप्ति होती हैं।
· यदि स्नान करते समय शरीर पर पानी डालते समय महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता हैं।
महामृत्युंजय जपविधि - (मूल संस्कृत में)
कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगमुख उदहमुखो वा उपविश्य धृतरुद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः । आचम्य । प्राणानायाम्य। देशकालौ संकीर्त्य मम वा यज्ञमानस्य अमुक कामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।
॥ इति प्रात्यहिकसंकल्पः॥
॥ इति भूतशुद्धिः ॥
अथ ध्यानम्:
जप
अथ महामृत्युंजय जपविधि
संकल्पतत्र संध्योपासनादिनित्यकर्मानन्तरं भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कृत्वा प्रतिज्ञासंकल्प कुर्यात ॐ तत्सदद्येत्यादि सर्वमुच्चार्य मासोत्तमे मासे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकगोत्रो अमुकनाम मम शरीरे ज्वरादि-
संकल्पतत्र संध्योपासनादिनित्यकर्मानन्तरं भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कृत्वा प्रतिज्ञासंकल्प कुर्यात ॐ तत्सदद्येत्यादि सर्वमुच्चार्य मासोत्तमे मासे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकगोत्रो अमुकनाम मम शरीरे ज्वरादि-
रोगनिवृत्तिपूर्वकमायुरारोग्यलाभार्थं वा धनपुत्रयश सौख्यादिकिकामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजयदेव प्रीमिकामनया यथासंख्यापरिमितं महामृत्युंजयजपमहं करिष्ये।
(अमुक के स्थान पर वर्तमान मास-पक्ष-तिथि-वास- का उचारण करें और अमुक गोत्रो व नाम के स्थान पर जिसके लिये जप किया जा रहा हो उस व्यक्ति के गोत्र व नाम का उचारण करना चाहिए)
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका मई-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
MAY-2011
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