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सोमवार, अक्टूबर 03, 2011

मां कालरात्रि के पूजन से शत्रु भय एवं दुष्ट शक्तियों का नाश होता हैं

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सप्तम कालरात्रि
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर-2010)

नवरात्र के  सातवें दिन मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन करने का विधान हैं। कालरात्रि देवी के शरीर का रंग घने अंधकार कि तरह एकदम काला हैं, सिर के बाल फैलाकर रखने वाली हैं।
कालरात्रि का स्वरुप तीन नेत्र वाला एवं गले में चमकने वाली माला धारण करने वाली हैं। कालरात्रि कि आंखों से अग्नि की वर्षा होती है एवं नासिका के श्वास में अग्नि की भंयकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। कालरात्रि के ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ के वरमुद्रासे सभी मनुष्यो को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रामें हैं। एक हाथ से शत्रुओं की गर्दन पकडे हुए हैं, दूसरे हाथ में खड्ग-तलवार शस्त्र से शत्रु का नाश करने वाली कालरात्रि विकट रूप में अपने वाहन गर्दभ(गधे) विराजमान हैं।

मंत्रः
एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कणिर्काकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।

ध्यान:-
करालवदनां घोरांमुक्तकेशींचतुर्भुताम्। कालरात्रिंकरालिंकादिव्यांविद्युत्मालाविभूषिताम्॥
दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्वकराम्बुजाम्। अभयंवरदांचैवदक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥
महामेघप्रभांश्यामांतथा चैपगर्दभारूढां। घोरदंष्टाकारालास्यांपीनोन्नतपयोधराम्॥
सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्। एवं संचियन्तयेत्कालरात्रिंसर्वकामसमृद्धिधदाम्॥

स्तोत्र:-
हीं कालरात्रि श्रींकराली चक्लींकल्याणी कलावती। कालमाताकलिदर्पध्नीकमदींशकृपन्विता॥
कामबीजजपान्दाकमबीजस्वरूपिणी। कुमतिघनीकुलीनार्तिनशिनीकुल कामिनी॥
क्लींहीं श्रींमंत्रवर्णेनकालकण्टकघातिनी। कृपामयीकृपाधाराकृपापाराकृपागमा॥

कवच:-
ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि। ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥ रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम
हौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी। वर्जितानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि। तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥

मंत्र-ध्यान-कवच- का विधि-विधान से पूजन करने वाले व्यक्ति का भानु चक्र जाग्रत होता हैं। कालरात्रि के पूजन से अग्नि भय, आकाश भय, भूत पिशाच इत्यादी शक्तियां कालरात्रि देवी के स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं,  कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक होते हुवे भी सदैव शुभ फल देने वाला होता हैं, इस लिये कालरात्रि को शुभंकरी के नामसे भी जाना जाता हैं।  कालरात्रि शत्रु एवं दुष्टों का संहार कर ने वाली देवी हैं।

OCT-2010
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