eight day of navratra, eight day of navratri, the Mahagauri mother worship money, wealth and happiness - peace offers. The worship of Maa mahagauri gets freedom from crisis, Get money, wealth, happiness and peace to The worship of Maa mahagauri, Money, wealth, happiness and peace is achieved from the worship of mother mahagauri, trouble end, scrape was end, deadlock was end, distress was end, hazard was end, danger was end, difficulty was end, mischief was end, slip-up was end, nodus was end, riskiness was end, Money, wealth, joy and peacefully, joy and tranquility saardiya navratra sep-2011, sharad-navratri, navratri, Second-navratri, navratri-2011, navratri-puja, navratra-story, navratri-festival, navratri-pooja, navratri puja-2011, Durga Pooja, durga pooja 2011, Navratri Celebrations 28 sep 2011, मां महागौरी का पूजन संकट से मुक्ति दिलाता हैं, मां महागौरी का पूजन धन, वैभव और सुख-शांति प्रदान करता हैं। अष्ठम नवरात्र,
नवरात्र के आठवें दिन माता महागौरी का पूजन, नवरात्रि के आठवें दिन महागौरि की पूजा, नवरात्र व्रत, नवरात्र प्रारम्भ, नवरात्र महोत्सव, नवरात्र पर्व, नवरात्रि, नवरात्री, नवरात्रि पूजन विधि, सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं, शारदीय नवरात्रि का त्योहार,
अष्टम महागौरी
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर-2010)
नवरात्र के आठवें दिन मां के महागौरी स्वरूप का पूजन करने का विधान हैं। महागौरी स्वरूप उज्जवल, कोमल, श्वेतवर्णा तथा श्वेत वस्त्रधारी हैं। महागौरी मस्तक पर चन्द्र का मुकुट धारण किये हुए हैं। कान्तिमणि के समान कान्ति वाली देवी जो अपनी चारों भुजाओं में क्रमशः शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण किए हुए हैं, उनके कानों में रत्न जडितकुण्डल झिलमिलाते रहते हैं। महागौरीवृषभ के पीठ पर विराजमान हैं। महागौरी गायन एवं संगीत से प्रसन्न होने वाली 'महागौरी' माना जाता हैं।
मंत्र:
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
ध्यान:-
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥
स्तोत्र:-
सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाघप्रिया अघा महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगलात्वंहितापत्रयप्रणमाम्यहम्।
वरदाचैतन्यमयीमहागौरीप्रणमाम्यहम्॥
कवच:-
ओंकार: पातुशीर्षोमां, हीं बीजंमां हृदयो। क्लींबीजंसदापातुनभोगृहोचपादयो॥ ललाट कर्णो,हूं, बीजंपात महागौरीमां नेत्र घ्राणों। कपोल चिबुकोफट् पातुस्वाहा मां सर्ववदनो॥
मंत्र-ध्यान-कवच- का विधि-विधान से पूजन करने वाले व्यक्ति का सोमचक्र जाग्रत होता हैं। महागौरी के पूजन से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं। महागौरी के पूजन करने वाले साधन के लिये मां अन्नपूर्णा के समान, धन, वैभव और सुख-शांति प्रदान करने वाली एवं संकट से मुक्ति दिलाने वाली देवी महागौरी हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर -2010)
OCT-2011
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें