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बुधवार, सितंबर 19, 2012

कर्ज से मुक्ति दिलाता हैं ऋण मोचन महागणपति स्तोत्र,

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ऋण मोचन महा गणपति स्तोत्र

 लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (सितम्बर-2011)
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण मोचन महा गणपति स्तोत्र मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः।

ऋष्यादि-न्यासः- भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि, ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि, मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।


॥मूल-स्तोत्र॥

स्मरामि देव-देवेश ! वक्र-तुणडं महा-बलम्। षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये॥१॥

महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्। महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये॥२॥
एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं , नमामि ऋण-मुक्तये॥३॥
शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्। सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये॥४॥
रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्। रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥५॥
कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्। कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥६॥
पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्। पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥७॥
नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्। नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥८॥
धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्। धूम्र-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥९॥
सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्। सर्व-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये॥१०॥
भद्र-जातं रुपं , पाशांकुश-धरं शुभम्। सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये॥११॥
॥फल-श्रुति॥ 

यः पठेत् ऋण-हरं-स्तोत्रं, प्रातः-काले सुधी नरः। षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति॥
भावार्थ: जो व्यक्ति उक्त  ऋण मोचन स्तोत्र  का विधि-विधान पूर्ण निष्ठा से नियमित प्रातः काल पाठ करता हैं उसके समस्त प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिल जाती हैं।


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संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष -पत्रिका सितम्बर-2011 का अंक पढें।
इस लेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो से यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (सितम्बर-2011)

Sep-2011

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