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शनिवार, जनवरी 23, 2010

हिन्दू धर्म (भाग: 3)

Rugved - ved -  Dharam
ऋग्वेद




ऋतस्य पन्थां न तरन्ति दुष्कृतः।
                                                                                                              (ऋग्वेद)


वेद

हिन्दू धर्म का मूल आधार है वेद। वेद का अर्थ ज्ञान है ।

'वेद' शब्द का उद्गम संस्कृत की 'विद्' धातु से हुवा है। 'विद्' यानी जानना।

 वेद को 'श्रुति' भी कहा जाता है। 'श्रु' धातु से 'श्रुति' शब्द बना है। 'श्रु' यानी सुनना। कहाजाता हैं कि ऋषियों को अपनी अंतरात्मा से परमात्मा के पास से ज्ञान प्राप्त हुवाथा।


वेद चार हैं : ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
  • ऋग्वेद : ऋग्वेद सबसे पुराना वेद है। इसमें 10 मंडल हैं और 10552 मंत्र। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना और स्तुतियो का वर्णन किया गया हैं।
  • यजुर्वेद : यजुर्वेद में 1975 मंत्र और 40 अध्याय हैं। यजुर्वेद में अधिकतर यज्ञ के मंत्रो का वर्णन किया गया हैं।
  • सामवेद : सामवेद में 1875 मंत्र हैं। ऋग्वेद की ही अधिकतर ऋचाएँ इस्मे हैं। इस सामवेद के सभी मंत्र संगीतमय हैं।
  • अथर्ववेद : अथर्ववेद में 5987 मंत्र और 20 कांड हैं। अथर्ववेद में भी ऋग्वेद की अधिकतर ऋचाएँ हैं।


चारों वेदों में कुल मिलाकर 20389 मंत्रो का उल्लेख किया गया हैं।


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