विद्या और ज्योतिषीय
हर माता-पिता की कामना होती है कि उनका बच्चें परीक्षा में उच्च अंकों से उत्तीर्ण हो एवं उसे सफलता मिले। उच्च अंकों का प्रयास तो सभी बच्चें करते हैं पर कुछ बच्चें असफल भी रह जाते हैं। कई बच्चों की समस्या होती है कि कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें अधिक याद नहीं रह पाता, वे कुछ जबाव भूल जाते हैं। जिस वजह से वे बच्चें परीक्षा में उच्च अंकों से उत्तीर्ण नहीं होपाते या असफल होजाते हैं। ज्योतिष के अनुशार असफलता का कारण बच्चें की जन्मकुंडली में चंद्रमा और बुध का अशुभ प्रभाव है।
चंद्रमा और बुध का संबंध विद्या से हैं, क्योकि मन-मस्तिष्क का कारक चंद्रमा है, और जब चंद्र अशुभ हो तो चंचलता लिए होता है तो मन-मस्तिष्क में स्थिरता या संतुलन नहीं रहता हैं, एवं बुध की अशुभता की वजह से बच्चें में तर्क व कुशाग्रता की कमी आती है। इस वजह से बच्चें का मन पढाई मे कम लगता हैं और अच्छे अंकों से बच्चा उत्तीर्ण नहीं हो पाता।
भारतीय ऋषि मुनिओं ने विद्या का संबंध विद्या की देवी सरस्वती से बताय हैं। तो जिस बच्चें की जन्मकुंडली में चंद्रमा और बुध का अशुभ प्रभावो हो उसे विद्या की देवी सरस्वती की कृपा भी नहीं होती। एसे मे मां सरस्वती को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त चंद्रमा और बुध ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम कर शुभता प्राप्त की जा सकती है।
मां सरस्वती को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करने का तत्पर्य यह कतई ना समजे की सिर्फ मां की पूजा-अर्चना करने से बच्चा परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो एवं उसे सफलता मिल जायेगी क्योकि मां सरस्वती उन्हीं बच्चों की मदद करती हैं, जो बच्चे मेहनत मे विश्वास करेते और मेहनत करते हैं। बिना मेहनत से कोइ मंत्र-तंत्र-यंत्र परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने मे सहायता नहीं करता है। मंत्र-तंत्र-यंत्र के प्रयोग से एक तरह की सकारत्मक सोच उत्पन्न होती है जो बच्चें को पढाई मे उस्की स्मरण शक्ती का विकास करती हैं।
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