॥ धनवंतरि स्तोत्रम्॥
ॐ शंखम् चक्रम् जलौकाम् दधदमृतघटम् चारुदोर्भिश्चतु्र्भिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम्।
कालाम्भोदोज्ज्वलान्गम् कटितटविलस्च्चारुपीताम्बराढयम्
वन्दे धनवंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम्॥
॥इति श्री धनवंतरि स्तोत्रम् संपूर्णम्॥
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