चित्र एवं वास्तु भाग:१
भवनो में चित्रों का उपयोग अति प्राचीन काल से चला आरहा हैं। वास्तु शास्त्र के विद्वानो ने भवन में चित्रो कि सही दिशा का चुनाव करने से शुभा फलो कि प्राप्ति होती हैं, कई चित्रो में एवं अशुभा प्रभावो को कम करने में भी समर्थ होते हैं। वास्तु शास्त्र के प्राचीन ग्रंथों में चित्रों के माध्यम से वास्तु के अनेक दोषों को दूर करने हेतु उपाय बताये गये हैं।
उचित जानकारी के अभाव में लोग अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी किसी भी प्रकर के चित्र लगा लेते हैं, जिस्से विपरीत परिणाम प्राप्त होते देखे गये है।
भवन को वास्तु दोषों से मुक्त रखने हेतु कौन से चित्र कहां लगाने से शुभ-अशुभा होता हैं उसे जान ना अति आवश्यक हैं।
धन प्राप्ति हेतु भवन में लक्ष्मी कि से खुले पैरो वाला फोटो लगाये।
जिनका मन हमेशा अशांत रहता हो उसे उत्तर पूर्व में बगुले का चित्र लगाना चाहिए, जो ध्यान की मुद्रा में हो।
भवन में देवी-देवता के चित्र लगान शुभा होता हैं।
देवी-देवता के पासमें अपने स्वर्गीय परिजनों के फोटो नहीं लगाने चाहिए।
स्वर्गीय परिजनों के फोटो लगाने हेतु पूर्व या उत्तर दिशा की दीवारों का प्रयोग करना चाहिए।
अध्ययन कक्ष में सरस्वती माता एवं गुरुजनों के चित्र लगाना शुभ होता हैं।
गुरु-संतो-ऋषि मुनि के आदर्शवादी चित्र आपकी बेठक से पीछे लगाने से साहस कि वृद्धि होती हैं।
पर्वत के चित्र भी आपकी पीठ के पीछे लगाये।
जल, जलाशय, झरने का चित्र उत्तर पूर्व में शुभ होता हैं।
परिवार में कलह होने पर सभी सदस्यो कि एक साथ खिची हुइ फोटो नैऋत्य कोण में लगाये।
भवन में युद्ध, लड़ाई-झगड़े, हिंसक पशु-पक्षियों के चित्र व मूर्तियाँ नहीं रखना चाहिए, इस्से भवन में क्लेश बढता हैं।
भयानक चित्र , पेंटिंग या मूर्ति आदि नहीं लगाने से छोटे बच्चे भय ग्रस्त होते देखा गया हैं।
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