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प्रहलाद और होलिका (होली से जुड़ी पौराणिक कथा-भाग:1)
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (मार्च-2011)
प्रहलाद और होलिका:
पौराणिक मान्यता के अनुशार होलीका उत्सव का प्रारंभ प्रहलाद और होलिका के जीवन से जुड़ा है। हमारे प्राचिन धर्म ग्रंथो में से एक विष्णु पुराण में प्रहलाद और होलिका की कथा का उल्लेख मिलता हैं। हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर वरदान प्राप्त कर लिया। अब हिरण्यकश्यप न तो अस्त्र-शस्त्र, मानव-पशु उसे पृथ्वी, आकाश, पाताल लोक में मार सकते थे।
वरदान के बल से हिरण्यकश्यपने देव-दानव-मानव आदि लोकों को जीत लिया और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना बंद करा दी। परंतु हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को नारायण की भक्ति करना बंध नहीं कर सका। जिसके कारण हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को बहुत सी यातनाएँ दीं। पंरतुप्रहलाद ने विष्णु भक्ति नहीं छोड़ी।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को भी वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। अत: दैत्यराज ने होलिका को विष्णु भक्त पुत्र का अंत करने के लिए प्रहलाद सहित आग में प्रवेश करा दिया। परंतु होलिका का वरदान निष्फल सिद्ध हुआ और वह स्वयं उस आग में जल कर मर गई और भक्त प्रहलाद का कुछ भी अनुष्ट नहीं हुवा। तभी से प्रहलाद की याद में होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
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