शिव महत्व
धर्म शास्त्रो में भगवान शिव को जगत पिता बताया गया हैं। क्योकि भगवान शिव सर्वव्यापी एवं पूर्ण ब्रह्म हैं। हिंदू संस्कृति में शिव को मनुष्य के कल्याण का प्रतीक माना जाता हैं। शिव शब्द के उच्चारण या ध्यान मात्र से ही मनुष्य को परम आनंद प्रदान करता हैं। भगवान शिव भारतीय संस्कृति को दर्शन ज्ञान के द्वारा संजीवनी प्रदान करने वाले देव हैं। इसी कारण अनादि काल से भारतीय धर्म साधना में निराकार रूप में होते हुवे भी शिवलिंग के रूप में साकार मूर्ति की पूजा होती हैं। देश-विदेश में भगवान शिव के मंदिर हर छोटे-बडे शहर एवं कस्बो में मोजुद हैं, जो भगवान महादेव की व्यापकता को एवं उनके भक्तो कि आस्था को प्रकट करते हैं।
भगवान शिव एक मात्र एसे देव हैं जिसे भोले भंडारी कहा जाता हैं, भगवान शिव थोङी सी पूजा-अर्चना से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं। मानव जाति की उत्पत्ति भी भगवान शिव से मानी जाती हैं। अतः भगवान शिव के स्वरूप को जानना प्रत्येक शिव भक्त के लिए परम आवश्यक हैं। भगवान भोले नाथ ने समुद्र मंथन से निकले हुए समग्र विष को अपने कंठ में धारण कर वह नीलकंठ कहलाये।
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