SHIVA KRUPA PRAPTI HETU UTTAM HE SHARAVAN MAS, SHIV KRIPA EVm SHARAVAN MASH
शिव कृपा हेतु उत्तम श्रावण मास
भारत वर्ष में अनादिकाल से विभिन्न पर्व मनाये जाते हैं, एवं भगवान शिव से संबंधी अनेक व्रत-त्यौहात मनाए जाते रहे हैं। इन उतसवो में श्रावण मास का अपना विशेष महत्व हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुशार श्रावण मास में चार सोमवार (कभी-कभी पांच सोमवार होते हैं) , एक प्रदोष व्रत तथा एक शिवरात्रि शामिल होत हैं इन सबका संयोग एकसाथ श्रावण महीने में होता हैं, इसलिए श्रावण का महीना शिव कृपा हेतु शीघ्र शुभ फल देने वाला मानागया हैं।
शिवपुराण के अनुशार श्रावण माह में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से समस्त तीर्थों के दर्शन का पूण्य एक साथ हि प्राप्त हो जाता हैं।
पद्म पुराण के अनुशार श्रावण माह में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मनुष्य कि समस्त शुभ कामनाएं पूर्ण होती हैं एवं उसे संसार के समस्त सुखों कि प्ताप्ति होकर उसे शिव कृपा से मोक्ष कि प्राप्ति हो जाती हैं।
• प्रथम सोमवार को- कच्चे चावल एक मुट्ठी शिव लिंग पर चढाया जाता हैं।
• दूसरे सोमवार को- सफेद तिल्ली एक मुट्ठी शिव लिंग पर चढाया जाता हैं।
• तीसरे सोमवार को- ख़ड़े मूँग एक मुट्ठी शिव लिंग पर चढाया जाता हैं।
• चौथे सोमवार को- जौ एक मुट्ठी शिव लिंग पर चढाया जाता हैं।
• यदि पाँचवाँ सोमवार आए तो एक मुट्ठी कच्चा सत्तू चढाया जाता हैं।
शिव की पूजा में बिल्वपत्र अधिक महत्व रखता है। शिव द्वारा विषपान करने के कारण शिव के मस्तक पर जल की धारा से जलाभिषेक शिव भक्तों द्वारा किया जाता है। शिव भोलेनाथ ने गंगा को शिरोधार्य किया है।
श्रावण मास में शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप करना विशेष लाभ प्रद होता हैं।
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