Search

Shop Our products Online @

www.gurutvakaryalay.com

www.gurutvakaryalay.in


गुरुवार, अक्टूबर 21, 2010

कोजागरी पूर्णिमा

शरद पुर्णिमा, सरद पूर्णिमा, शरद पूर्निमा, sharad poornima, sharad purnima, sarad purnima, sarad poornima, sharad poornima vrat katha, शरद पूर्णिमा, कोजागरी व्रत-पूजन, kojAgari vrat poojana, kojagara vrat

कोजागरी पूर्णिमा

आश्विन मास की पूर्णिमा को 'कोजागर व्रत' रखा जाता हैं। इस लिये इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

इस दिन व्यक्ति विधिपूर्वक स्नान करके व्रत-उपवास रखने का विधान हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से ताँबे या मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढँकी हुई स्वर्णमयी लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित किया जाता हैं। फिर लक्ष्मी जी कि भिन्न-भिन्न उपचारों से पूज-अर्चना करने का विधान हैं। सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर सोने, चाँदी अथवा मिट्टी के घी से भरे हुए दीपक जलाने कि परंपरा हैं।

इस दिन घी मिश्रित खीर को पात्रों में डालकर उसे चन्द्रमा की चाँदनी में रखा जाता हैं। एक प्रहर (३ घंटे) खीर को चाँदनी में रखनेके बाद में उसे लक्ष्मीजी को सारी खीर अर्पण कि जाती हैं। तत्पश्चात भक्तिपूर्वक सात्विक ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराएँ और उनके साथ ही मांगलिक गीत गाकर तथा मंगलमय कार्य करते हुए रात्रि जागरण किया जाता हैं।

मान्यता हैं कि पूर्णिमा कि मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने हाथो में वर और अभय वरदान लिए भूलोक में विचरती हैं। इस दिन जो भक्तजन जाग रहा होता हैं उसे माता लक्ष्मी धन-संपत्ति प्रदान करती हैं।
इससे जुडे अन्य लेख पढें (Read Related Article)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें