पुत्र चार प्रकार के होते हैं
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (अक्टूबर-2010)
श्री मद् भागवत के अनुसार
देवर्षि नारद चित्रकेतु को जो उपदेश देते हैं। वह इस प्रकार हैं।
नारदजी बोले राजन पुत्र चार प्रकार के होते हैं।
शत्रु पुत्र, ऋणानुबंध पुत्र, उदासीन और सेवा पुत्र।
• शत्रु पुत्र: शत्रु पुत्र वह होता हैं, जो पुत्र माता-पिता को कष्ट देते हैं, कटु वचन बोलते हैं और उन्हें रुलाते हैं, एवं जो शत्रुओं जेसा कार्य करते हैं वे शत्रु पुत्र कहलाते हैं।
• ऋणानुबंध पुत्र: वह होता हैं, जो पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार शेष रह गए अपने ऋण आदि को पूर्ण करने के लिए जो पुत्र जन्म लेता है वे ऋणानुबंध पुत्र कहलाते हैं।
• उदासीन पुत्र: वह होता हैं, जो पुत्र माता-पिता से किसी प्रकार के लेन-देन कि अपेक्षा न रखते विवाह के बाद उनसे विमुख हो जाए, उनका ध्यान ना रखे, वे उदासीन पुत्र कहलाते हैं।
• सेवा पुत्र: जो पुत्र माता-पिता कि सेवा करता है, माता-पिता का ध्यान रखते हैं, उन्हें किसी प्रकार कि कोई कमी नहीं होने देते, ऐसे पुत्र सेवा पुत्र अर्थात धर्म पुत्र कहलाते हैं।
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