ग्रह एवं रोग भाग:१
हमारे ऋषि-मुनि और ज्योतिषाचार्योने बडी ही सरलता से हर बीमारी का संबंध ग्रहो के साथ होने का उल्लेख ज्योतिष ग्रंथो मे किया हैं।
व्यक्ति की जन्म कुंडली में जन्म समय में स्थित ग्रहो कि स्थिती, ग्रहोकि महादशा, अंतर दशा एवं ग्रहो के वर्तमान समय के ग्रहो की स्थिति से व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं रोग का आंकलन होता हैं।
आपने प्रायः देखा होगा स्वस्थ व्यक्ति भी कभी-कभी अचानक बीमार पड़ जाता हैं। जो दरसल खान-पान में बरती गई कोई लापरवाही हो सकती हैं। कभी-कभी व्यक्ति को आनुवांशिक यानी माता-पितासे प्राप्त रोग हो सकते है।
ज्योतिष विद्वान के मत से व्यक्ति के जन्म समय पर ग्रहों कि स्थिति एवं प्रभाव से व्यक्ति को उम्र के किस मोड़ पर उसे कोनसी बीमारी हो यह सुनिश्चित कर सकते हैं। यदि समय से पहले पता चल जाये व्यक्ति कब किस रोग से पीडि़त हो सकता हैं, तो पहले से सचेत होकर रोग का से बचाव हेतु या उसका निदान किया जा सकता हैं। क्योकि समय से पूर्व रोग के बारे में पता चलने से व्यक्ति खान-पान में परहेज कर बीमारी को कम करने या टालने का प्रयास कर सकता हैं।
जन्म कुंडली मे रोग का निर्णय कुंडली के छठे भाव में स्थित ग्रह, छठे भाव के स्वामी कि स्थिति छठे भाव पर ग्रह कि द्रष्टि, छठे भाव का कारक ग्रह के आधार पर जान सकते हैं, कि भविष्य में जातक किस रोग से पीडित हो सकता हैं।
कुछ मुख्य बातों को समझ कर आप किसी भी व्यक्ति कि जन्म कुंडली से होने वाले रोगों के बारे में सचेत कर सकते हैं। वैसे भी आकाश में भ्रमण करते सभी ग्रह और नक्षत्र रोग उत्पन्न कर सकते हैं। कौन-सा ग्रह किस प्रकार के रोग का कारण होता हैं उसके बारे में विस्तार से जाने।
(क्रमशः.........)
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