वैनायकी चतुर्थी व्रत(वरद विनायक चतुर्थी)
पूजा व्रतेषु सर्वेषुमध्याह्नव्यापिनीतिथि:।
जो व्यक्ति वरदविनायक चतुर्थी का व्रत पूर्ण श्रद्धा से नियम पूर्वक सालभर करता हैं उसकी समस्त मनोकामनाएं स्वतः सिद्ध होने लगती हैं ऎसा शास्त्रोक्त वचन हैं।
वैनायकीचतुर्थी में गणेषजी की षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना करने का विधान हैं।
पूजन में गणेशजी के विग्रह को दूर्वा, गुड या मोदक का भोग, सिंदूर या लाल चंदन चढाना चाहिए।
गणपति की आराधना हेतु तुलसी दलका प्रयोग वर्जित हैं।
एवं गणेश मंत्र का १०८ बार जाप करें।
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