सुख-स्मृद्धि के लिये जाने ऋण(कर्ज) कब ले और कब दे
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (नवम्बर – 2010)
आज के आधुनिक युग में ऋण अमिर-मध्यम-गरीव हर वर्ग कि हैं। आज ज्यादातर व्यक्ति कर्ज के मक्कड़ जाल में उलझा हुआ हैं। आज कोई व्यक्ति धन उधार देकर रोते हुवे मिलता हैं तो कोई धन लेकर पछता ते हुवे आसानी से मिलता हैं। 10-20 वर्ष पहले किसी से कर्जा लेने के लिए रिस्तेदर-मित्र-साहुकार को ढेरों मिन्नतें करनी होती थीं पर अब समय बदल गया हैं गली-गली उधार देने के लिये बैंक वाले लोन/क्रेडिट कार्ड देते फिरते रहते हैं।
भरतीय ज्योतिष में कर्ज के लेन-देन से संबंधी इन समस्याओं से दूर रहने के उपाय बतलाये हैं। ज्योतिष के विशेष नियमो को अपना कर जीवन में कर्ज से संबंधित समस्याओं को अपने अनुकूल बनाया जा सकता हैं, व्यवसाय से जुडे लोगो को व्यवसाय से संबंधित लेनदेन तो रोज करने पडते हैं। एसे लोग यदि ज्योतिष के सिद्धांतो को अपना ने धन से संबंधितत लेन-देन अच्छा होता हैं।
लेनदेन के बडे भुगतान हेतु समय अवधि को ध्यान में रखते हुवे अग्रिम एवं पश्चयात भुगतान किया जाये तो विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
लेन-देन हेतु मुख्य नियम हैं।
ऋणे भौमे न ग्रहीयात, न देयम् बुधवासरे।
ऋणच्छेदनम् भौमे कुर्यात्, संचये सोम नंदने॥
अर्थातः धन के लेनदेन हेतु मंगलवार और बुधवार ब़डे महत्व पूर्ण हैं। मंगलवार को उधार लेना अशुभ होता हैं तथा बुधवार को उधार देना अशुभ होता हैं।
कर्ज लेने कि आवश्यकता प़ड जाये तो मंगलवार को कभी कर्ज नहीं लेना चाहिये। मंगलवार को लिये उधार को चुकाने में ब़डी कठिनाई आती हैं। कर्ज देने कि आवश्यकता प़ड जाये तो बुधवार को कर्ज नहीं देना चाहिये बुधवार को दिये गये कर्ज को प्राप्त करने में कठिनाई आती हैं।
यह ज्योतिष का एक सरल नियम हैं जो सरलता से याद रखा जा सकता हैं और दैनिक जीवन में उपयोग किया जा सकता हैं।
ज्योतिष मत से मंगलवार ऋण चुकाने के लिए श्रेष्ठ हैं। बुधवार धन संचय(सेविंग) के सर्व श्रेष्ठ दिन हैं। बुधवार को बैंक में धन जमा करना, फ़िक्स डिपोजीट इत्यादि हेतु श्रेष्ठ हैं।
यदि कर्ज लेने कि जरूरत होतो मंगलवार, सूर्य संक्रांति का दिन, वृद्धि योग, जिस रविवार को हस्त नक्षत्र हो, इन संयोग पर चाहे कितनी ही ब़डी जरूरत हो इन दिनों में ऋण कभी नहीं लेना चाहिये, ऋण लेना अगले दिन पर टाल दें।
यदि कर्ज देने कि जरूरत होतो बुधवार, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, आश्लेषा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों में, भद्रा, व्यतिपात और अमावस्या के संयोग पर दिया गया धन कभी वापस प्राप्त नहीं होता या धन प्राप्त करने में अत्याधिक कठिनाईया आती हैं। , धन प्राप्ति हेतु कोर्ट-केश, झग़डे इत्यादिके उपरांत भी धान प्राप्त नहीं होता। हमने अपने अनुभवो में इस संयोग पर धन लेने और धन देने वाले दोनो को परेशानीयां झेलते देखा गया हैं। इस संयोग पर धन लेने वाले का धन टिकता नहीं एवं उस्की आर्थिक स्थिती धन चुकाने लायक नहीं रहजाती। उसे कर्ज चुकाने हेतु और कर्ज लेने कि नौबत आन पड़ती हैं। इन सिद्धांतों को अपना कर जीवन में अपनाने से बहुत छोटे-ब़डे विवादों से आसानी से बचा जा सकता हैं।
क्योकि आज के समय में विषम परिस्थितियों में भी जिसका लेनदेन अच्छा होता हैं, उसका समाज में अच्छा प्रभाव बन जाता हैं।
इन नियमों को अपनाकर साधारण व्यक्ति भी असाधारण लाभ प्राप्त कर सकता हैं।
यदि धन का कहीं निवेश (जमीन-जायदाद, शेरमार्केट, इन्स्योरेंस, सोना, चांदि, विदेशी मुद्रा, इत्यादी) में करना हो तो मंगलवार और बुधवार के अतिरिक्त अन्य वारों का चुनाव करें। इसके अतिरिक्त पुनर्वसु-स्वाति-मृगशिरा-रेवती-चित्रा-अनुराधा-विशाखा-पुष्य-श्रवण-धनिष्ठा-शतभिषा और अश्विनी नक्षत्रों में किया गया निवेश शुभ रहता हैं। निवेश चर (मेष-कर्क-तुला-मकर) लग्नो में करना उत्तम होता हैं। निवेश करने से पूर्व यह देख ले कि लग्न से 8वें भाव में कोई ग्रह न हो, इस समय में किया गया पूंजि निवेश धन को बढ़ाता हैं।
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