Hanuman Bahuk
नोट: जो व्यक्ति अनुष्ठान करने में असमर्थ हो वह प्रतिदिन हनुमान बाहुक का श्रद्धा अनुशार पाठ करके भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हनुमान बाहुक क पाठ रोग व कष्ट दूर करता हैं
हनुमान बाहुक की रचना संत गोस्वामी तुलसीदासजी ने अपीन दाहिनी बाहु में हुई असह्य पीड़ा के निवारण के लिए की थी। हनुमान बाहुक में तुलसीदासजी ने हनुमानजी की महिमा का चिंतन व तुलसीदासजी के सर्वअंगो में हो रही पीड़ा की निवृति की प्रार्थना है।
हनुमान बाहुक सिद्ध संत गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा विरचित सिद्ध स्तोत्र है।
हनुमान बाहुक का पाठ किसी भी प्रकार की आधि–व्याधि जेसी पीड़ा, भूत, पेत, पिशाच, जेसी उपाधि तथा किसी भी प्रकार के शत्रु द्वारा किये हुए दुष्ट भिचार कर्म की निवृति के लिए हनुमान बाहुक का नियमित पाठ तथा अनुष्ठान श्रेष्ठ उपाय हैं। अनुष्ठान के समय एकाहार अथवा फलाहार करे। पूर्ण ब्रह्मचर्य आदि का पालन और भूमि शयन करें।
हनुमानजी का पूजन और हनुमान बाहुक के पाठ का अनुष्ठान 40 दिन तक करने से अभीष्ट फल की सिद्धि अथवा रोग, कष्ट इत्यादि का निवारण हो जाता है।
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